मेरे अनुभवःकोरोना से यूं जीती जंग
-प्रो. संजय द्विवेदी
ये सच में बहुत कठिन दिन हैं।
डरावने, भय और आशंकाओं से भरे हुए। मीडिया में आती खबरें दहशत जगा रही थीं। कई
मित्रों,शुभचिंतकों और जानने वालों की मौत की खबरें सुनकर आंखें भर आती थीं। लगता
था यह सिलसिला कब रूकेगा?
बुखार आया तो लगा कि हमारे भी बुरे दिन आ गए हैं। रात में सोना कठिन था। फिल्में
देखने और पढ़ने-लिखने में भी मन नहीं लग रहा था। बुखार तो था ही, तेज खांसी ने बेहाल कर रखा था। एक रोटी भी खा पाना कठिन था। मुंह बेस्वाद
था। कोरोना का नाम ही आतंकित कर रहा था। मन कहता था “मौसमी बुखार ही है, ठीक हो जाएगा।” बुद्धि कहती थी “अरे
भाई कोरोना है, मौसमी बुखार नहीं है।” अजीब से हालात थे। कुछ
अच्छा सोचना भी कठिन था।
मुझे और मेरी पत्नी श्रीमती भूमिका
को एक ही दिन बुखार आया। बुखार के साथ खांसी भी तेज थी। जो समय के साथ तेज होती
गई। टेस्ट पाजिटिव आने के बाद मैंने तत्काल गंगाराम अस्पताल, दिल्ली के डाक्टर
अतुल गोगिया से आनलाईन परामर्श लिया। उनकी सुझाई दवाएं प्रारंभ कीं। इसके साथ ही
होम्योपैथ और आर्युवेद ही भी दवाएं लीं। हम लगभग 20 दिन बहुत कष्ट में रहे। साढ़े
छः साल की बेटी शुभ्रा की ओर देखते तो आंखें पनीली हो जातीं। कुछ आशंकाएं और उसका
अकेलापन रूला देता। करते क्या, उसे अलग ही रहना था। मैं और मेरी पत्नी भूमिका एक
कक्ष में आइसोलेट हो गए। वह बहुत समझाने पर रोते हुए उसी कमरे के सामने एक खाट पर
सोने के लिए राजी हो गयी। किंतु रात में बहुत रोती, मुश्किल से सोती। दिन में तो
कुछ सहयोगी उसे देखते, रात का अकेलापन उसके और हमारे लिए कठिन था। एक बच्चा जो कभी
मां-पिता के बिना नहीं सोया, उसके यह कठिन था। धीरे-धीरे उसे चीजें समझ में आ रही
थीं। हमने भी मन को समझाया और उससे दूरी बनाकर रखी।
लीजिए लिक्विड डाइटः
दिन के प्रारंभ में गरम पानी के साथ नींबू और शहद, फिर ग्रीन टी, गिलोय का
काढ़ा और हल्दी गरम पानी। हमेशा गर्म पानी पीकर रहे। दिन में नारियल पानी, संतरा
या मौसमी का जूस आदि लेते रहे। आरंभ के तीन दिन लिक्विड डाइट पर ही रहे। इससे
हालात कुछ संभले। शरीर खुद बताता है, अपनी कहानी। लगा कुछ ठीक हो रहा है। फिर
खानपान पर ध्यान देना प्रारंभ किया। सुबह तरल पदार्थ लेने के बाद फलों का नाश्ता
जिसमें संतरा,पपीता, अंगूर,किवी आदि शामिल करते थे। हालात सुधरे तो किताबें उठाईं
और पढ़ना प्रारंभ किया। सबसे पहले शरद पवार की जीवनी पढ़ी ‘अपनी
शर्तों पर’, फिर देवराहा बाबा की जीवनी पढ़ी जिसे श्री
ललन प्रसाद सिन्हा ने बहुत श्रध्दाभाव से लिखा है। इसके साथ ही यशस्वी भारत(
परमपूज्य मोहन भागवत), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ( श्री सुनील
आंबेकर) की किताबें पढ़ गया। इस बीच राजनीतिक फिल्में देखने का मन भी बना। व्यस्त
दिनचर्चा के कारण बहुत सारी फिल्में देख नहीं सका उन्हें देखा। जिनमें रामगोपाल
वर्मा की रक्तचरित्र -1 और 2, ताशकंद फाइल्स(विवेक
अग्रिहोत्री), जेड प्लस( चंद्रप्रकाश द्विवेदी) के अलावा
धर्म, एक्सिटेंडेंल प्राइम मिनिस्टर, इंदु
सरकार भी देखी। इससे बाहर की बुरी खबरों से बचने में मदद मिली।
खुद न करें इलाजः
खान-पान,
संयम और धीरज दरअसल एक पूंजी है। किंतु यह तब काम आती हैं,
जब आपका खुद पर नियंत्रण हो। मेरी पहली सलाह यही है कि
बीमारी को छिपाना एक आत्मछल है। खुद के साथ धोखा है। अतिरिक्त आत्मविश्वास
हमें कहीं का नहीं छोड़ता। इसलिए तुरंत
डाक्टर की शरण में जाना आवश्यक है। होम आइसोलेशन का मतलब सेल्फ ट्रीटमेंट नहीं है।
यह समझन है। प्रकृति के साथ, आध्यात्मिक विचारों के साथ, सकारात्मकता के साथ जीना जरूरी है। योग- प्राणायाम की शरण
हमें लड़ने लायक बनाती है। हम अपनी सांसों को साधकर ही अच्छा,
लंबा निरोगी
जीवन जी सकते हैं।
इन कठिन दिनों के संदेश बहुत खास
हैं। हमें अपनी भारतीय जीवन पद्धति, योग, प्राणायाम, प्रकृति से संवाद को अपनाने
की जरूरत है। संयम और अनुशासन से हम हर जंग जीत सकते हैं। भारतीय अध्यात्म से
प्रभावित जीवन शैली ही सुखद भविष्य दे सकती है। अपनी जड़ों से उखड़ने के परिणाम
अच्छे नहीं होते। हम अगर अपनी जमीन पर खड़े रहेंगें तो कोई भी वायरस हमें
प्रभावित तो कर सकता है, पराजित नहीं। यह चौतरफा पसरा हुआ दुख जाएगा जरूर,
किंतु वह जो बताकर जा रहा है, उसके संकेत को समझेंगें तो जिंदगी फिर से
मुस्कराएगी।
मेरे सबकः
1.
होम आईसोलेशन में रहें किंतु सेल्फ ट्रीटमेंट न लें। लक्षण दिखते ही तुरंत
डाक्टर से परामर्श लें।
2.
पौष्टिक आहार, खासकर खट्टे फलों का सेवन करें। संतरा, अंगूर, मौसम्मी, नारियल
पानी, किन्नू आदि।
3.
नींबू,आंवला, अदरक,हल्दी, दालचीनी, सोंठ को अपने नियमित आहार में शामिल करें।
4.
नकारात्मकता और भय से दूर रहें। जिस काम में मन लगे वह काम करें। जैसे
बागवानी, फिल्में देखना, अच्छी पुस्तकें पढ़ना।
5.
यह भरोसा जगाएं कि आप ठीक हो रहे हैं। सांसों से जुड़े अभ्यास, प्राणायाम,
कपाल भाति, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम 15 से 30 मिनट तक अवश्य करें।
6.
दो समय पांच मिनट भाप अवश्य लें। हल्दी-गुनगुने पानी से दो बार गरारा भी करें।
7.
दवा के साथ अन्य सावधानियां भी जरूरी हैं। उनका पालन अवश्य करें। शरीर को
अधिकतम आराम दें। ज्यादा से ज्यादा नींद लें। क्योंकि इसमें कमजोरी बहुत आती है और
शरीर को आराम की जरूरत होती है।
8.
अगर सुविधा है तो बालकनी या लान में सुबह की गुनगुनी धूप जरूर लें। साथ ही
सप्ताह में एक बार डाक्टर की सलाह से विटामिन डी की गोलियां भी लें। साथ ही
विटामिन सी और जिंक की टेबलेट भी ले सकते हैं।
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