- संजय द्विवेदी
समाचार संकलन एक चुनौतीपूर्ण दायित्व है।
क्योंकि संवाददाता के लिए यह संकट होता है कि वह समाचार किसे माने, किसे न माने।
किसे कवर करे, किसे छोड़ दे। आज के दौर में समाचारों की दुनिया बहुत व्यापक हो गयी
है। समाज-जीवन में घटने वाली हर गतिविधि आज कवर की जा रही है। अब सिर्फ राजनीति,
अपराध और दुर्धटनाएं ही समाचार नहीं है वरन समाचार की दुनिया बहुत व्यापक हो चुकी
है।
समाचार का यह विस्तृत होता आकाश अवसर भी है
और चुनौती भी। क्योंकि पत्रकारिता के प्रारंभ में बड़ी घटनाएं कवर होती थीं, अब हर
क्षेत्र को कवरेज का हिस्सा माना जाने लगा है ऐसे में विषय पर केंद्रित विशेषज्ञता
की जरूरत भी जरूरत भी है। जैसे अब लाइफ स्टाइल के लिए भी संवाददाता रखे जा रहे
हैं, सो उनकी खास योग्यता होना जरूरी है। विषय को समझे बिना उसे कवर करना आसान नहीं
होता। सो खेल, व्यापार, कारपोरेट, कृषि, फैशन, संगीत, कला, प्रदर्शन कलाएं,
जनजातीय मुद्दे, विकास से जुड़े मुद्दे, फिल्म, टीवी, आटो, सर्राफा, महिलाएं,
बच्चे, शिक्षा, सैन्य, विदेशी मामले, संसदीय मामले, सूचना प्रौद्योगिकी,जल प्रबंधन
जैसे तमाम क्षेत्र संवाददाता से एक खास उम्मीद रखते हैं। सो संवाददाता काम अब
मात्र चीजों का सरसरी तौर पर वर्णन करना नहीं अपने पाठक को उसे समझाना भी है। उसे
जानकारी के साथ लैस करना भी है। अगर वह ऐसा नहीं करता तो अपने पाठक और संस्थान के
साथ अन्याय कर रहा होगा। देश और दुनिया में हो रहे परिवर्तनों के मद्देनजर उसे
तैयार रहना होता है। यदि वह ऐसा नहीं कर पाता तो उपहास का पात्र बनता है।
समाचार जिनसे बनता है ( समाचार तत्व)
समाचार यूं
ही नहीं बनता उसके कुछ प्रेरक तत्व होते हैं। ये हैं -
1.नवीनता-
यानी एकदम नई सूचना जिसे लोग अभी तक नहीं जानते थे।
2.जानकारी-
जिससे लोगों को कोई नयी जानकारी पता चलती हो।
3.निकटता-
आपके परिवेश से जुड़ी खबर, जिससे आप अपने जिले, गांव, प्रदेश, देश, भाषा के नाते
कोई रिश्ता जोड़ पा रहे हैं।
4.महत्व-
वह घटना कितनी महत्वपूर्ण है। उसका प्रभाव कितना व्यापक है।
5.विचित्रता-
कोई अनहोनी, या हैरत में डालने वाली बात जो आपको चकित कर दे।
6.
परिवर्तन- किसी बदलाव का कारण बनने वाली सूचना।
अगर हम श्री
नंदकिशोर त्रिखा की मानें तो वे समाचार के तत्वों में इन मुद्दों का उल्लेख
करते हैं-
1.नवीनता, असामान्यता
2.अनपेक्षित
भाव
3.आत्मीयता,आकांक्षा
4.व्यक्तिगत
प्रभाव
5.निकटता
6.करूणा और
भय
7.धन
8.मानवीय
पक्ष
9.रहस्य
10.सहानुभूति
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि समाचार मानवीय
भावनाओं के इर्द-गिर्द ही रहता है। मनुष्य की चेतना और सूचना की आकाँक्षा ही उसके
विषयगत विस्तार का कारण है। जैसे- जैसे ज्ञान, विज्ञान और तकनीक की नई शाखाएं
विकसित हो रही हैं वैसै- वैसे ही समाज जीवन में मीडिया और सूचना का प्रवाह तेज
होता जा रहा है। आज का युग सूचना विस्फोट का समय कहा जा रहा है, सो यह माना जाने
लगा है कि जिसके पास जितनी सूचना होगी वह समाज उतना ही समृद्ध समाज होगा। ऐसे में
संवाददाता के काम की चुनौती बहुत बढ़ जाती है।
कैसे संवाददाता- कितने संवाददाता-
संवाददाता
का काम खबरें भेजना ही है। खबरों का संकलन और उसका प्रेषण यही उसकी जिम्मेदारी है।
अखबार जिस स्थान से निकलता है उस केंद्र पर संवाददाताओं की संख्या ज्यादा रहती है।
जिन्हें नगर संवाददाता कहा जाता है। उनके प्रमुख को मुख्य नगर संवाददाता या सिटी
चीफ या ब्यूरो चीफ अनेक नाम से संबोधित किया जाता है। जो प्रकाशन केंद्र से बाहर
से खबरें भेजते हैं उनमें भी दो प्रकार के संवाददाता हैं एक वे जो पूर्णकालिक
संवाददाता होते हैं दूसरे वे जो अंशकालिक संवाददाता (Stringer) के तौर पर काम करते हैं। इन्हें इनकी खबरों के आधार पर
भुगतान की व्यवस्था होती है। बड़े केंद्रों पर संवाददाता अपनी बीट या विषय के आधार
पर बंटे होते हैं। जैसे कोई क्राइम देखता है तो कोई राजनीतिक दल। किंतु छोटे
केंद्रों पर क्योंकि गतिविधियां कम होती हैं सो एक ही व्यक्ति काम देख लेता है।
अन्वेषणात्मक रिपोर्टिंग ( खोजी पत्रकारिता)
आमतौर यह नियमित रिपोर्टिंग का हिस्सा नहीं है
क्योंकि इसमें बेहद श्रम, समय और कई बार धन भी खर्च होता है। यह दरअसल छिपी हुयी
सच्चाइयों को उजागर करने की दिशा में की जाने वाली पहल है। किसी सूचना की सतही
जानकारी नहीं उसकी गहराईयों में जाने का यत्न ही इसकी मूल भावना है। ऐसी जानकारी
जिसे कोई पक्ष छिपाने की कोशिश में हो, या उसके उजागर होने से उसका नुकसान संभावित
हो। इसके साथ ही यह एक ऐसी खोज है जो अब तक प्रकाश में नहीं आयी थी और पहली बार
आपने ही इसे उदघाटित किया है। कुल मिलाकर यह गोपनीयता के भेदन का काम है। कई बड़े
घोटाले, भ्रष्टाचार की कथाएं, आपराधिक घटनाओं के पीछे छिपे रहस्य ऐसी ही
पत्रकारिता के माध्यम से सामने आ सके हैं। इस तरह की पत्रकारिता का सबसे बड़ा
उदाहरण वाटरगेट कांड है जिसने अमरीकी राजनीति में भूचाल आ गया। 1972 में अमेरिकी
राष्ट्रपति के चुनाव के बाद दो युवा संवाददाताओं ने अपने अखबार वाशिंगटन पोस्ट को
एक बड़ा गौरव दिया और पुलित्जर अवार्ड से सम्मानित किए गए। इस खबर के माध्यम से यह
बताया गया कि राष्ट्रपति निक्सन के पुननिर्वाचन अभियान के दौरान विपक्षी उम्मीदवार
डेमोक्रेटिव पार्टी के मैक्गवन के वाटरगेट स्थित मुख्यालय की जासूसी की गयी और
सरकारी तंत्र का अवैध इस्तेमाल किया गया। यह भी रहस्य सामने आया कि राष्ट्रपति के
अपने कार्यालय में अधिकारियों के फोन टेप किए जा रहे थे। इससे निक्सन की प्रतिष्ठा
को काफी आधात पहुंचा और उन्हें माफी मांगनी पड़ी। इस मामले में निक्सन के निकट
सहायकों को इस्तीफा देना पड़ा। हालात ऐसे हो गए कि निक्सन के इस्तीफे की मांग उठने
लगी। देश में संवैधानिक संकट पैदा हो गया। हजारों संभावनाओं से भरा यह क्षेत्र पत्रकारिता
के वास्तविक उद्देश्यों की पूर्ति करने वाला है। भारत में भी अंतुले सीमेंट
घोटाला, कमला बिक्री कांड., बोफोर्स कांड में इस पत्रकारिता के तेवर देखने को
मिले। तमाम स्टिंग आपरेशन में इसी पत्रकारिता की झलक या विस्तार मिलता है।
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