गुरुवार, 8 मई 2014

दलितों को मिल रही है मीडिया में जगह : श्री नैमिशराय

'सामाजिक समरसता और मीडिया की भूमिकाविषय पर एमसीयू में व्याख्यान

भोपाल, 08 मई। प्रख्यात पत्रकार एवं चिंतक मोहनदास नैमिशराय का कहना है कि मीडिया में अब दलितों के सवालों को जगह मिलने लगी है। मीडिया संस्थानों को समझ आ रहा है कि दलितों की बात करने पर उनका माध्यम चर्चित होता है, इसलिए अब अधिक मात्रा में समाचार माध्यमों में दलितों की आवाज को जगह मिल रही है। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल की ओर से 'सामाजिक समरसता और मीडिया की भूमिकाविषय पर आयोजित व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने की।
   उन्होंने कहा कि आज भी भारत के किसी भी हिस्से में दलित विमर्श से जुड़े किसी भी समाचार-पत्र और पत्रिका की प्रसार संख्या 10 हजार से अधिक नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि दलित साहित्य में अच्छा नहीं लिखा जा रहा है। महाराष्ट्र सहित अन्य प्रांतों में दलित साहित्य और अन्य लेखन में उत्कृष्ट कार्य हुआ है। सामाजिक समरसता में मीडिया की भूमिका के संबंध में उन्होंने कहा कि 20-25 साल पहले पत्रकारिता के जो मूल्य थे, उनमें बदलाव आ गया है। पत्रकारिता को कैसे स्वस्थ रखना है? यह चुनौती आज हमारे सामने है। पत्रकारिता मिशन से हटी है, यह सच है लेकिन पत्रकारिता के वर्तमान चरित्र को ही पूरा दोष नहीं दिया जा सकता। स्वस्थ पत्रकारिता के लिए पत्रकारों को स्वयं पर अंकुश रखना जरूरी है। पत्रकारों को तमाम प्रलोभन दिए जाते हैं, उन्हें इनसे बचना है। पत्रकार जहां समझौता कर लेते हैं, फिर वहां स्वस्थ पत्रकारिता संभव नहीं रह जाती। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में खुद की सुरक्षा रखते हुए सामाजिक सरोकार के लिए पत्रकारिता करने का रास्ता पत्रकारों को खोजना चाहिए। श्री नैमिशराय ने ऐसे कई पत्रकारों के उदाहरण दिए जो सामाजिक समरसता के लिए तमाम तरह की चुनौतियों के बीच काम करते रहे।
कुठाएं छोड़कर बढ़ें आगेः   उन्होंने कहा कि दलित, वनवासी और पिछड़े समाज के लोगों में बरसों से उन पर हुए उत्पीडऩ को लेकर कुंठाएं हैं। लेकिन हमारे सामने सवाल है कि आखिर इन कुंठाओं में हम कब तक पड़े रहेंगे और इसमें हमारा भविष्य क्या है? अपनी बेहतरी के लिए हमें कुंठाएं छोड़कर रचनात्मक और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढऩा चाहिए। श्री नैमिशराय ने कहा कि सामाजिक समरसता लाने में महज दलितों का ही नहीं, वरन समाज के सभी वर्गों का शिक्षित होना जरूरी है।
शिक्षा सबके लिए जरूरी है, ऐसा बाबा साहब अम्बेडकर का स्पष्ट मानना था। बाबा साहब अम्बेडकर का जिक्र करते हुए श्री नैमिशराय ने कहा कि वे दुनिया के एकमात्र व्यक्ति हैं जिनके चरित्र पर आज तक कोई लांछन नहीं लगा है। उनका जीवन सदैव निष्कलंक बना रहा।
सबकी जाति होगी भारतीय : प्रो. कुठियाला
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ब्रज किशोर कुठियाला ने कहा कि शूद्र पहले सूर्यवंशी क्षत्रिय थे। जिस समाज को आज हम वंचित समाज कहते हैं वह कभी मुख्यधारा का समाज था। कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी कि मुख्यधारा का समाज वंचित समाज हो गया। तथ्यों के आधार पर यह बात बाबा साहब अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक 'शूद्र कौन हैंमें लिखा है। बाबा साहब ने यह भी बताया है कि शूद्रों के गौत्र कई सवर्ण जातियों के गौत्र के ही समान हैं। प्रो. कुठियाला ने कहा कि मीडिया को इस तरह के तथ्यों को समाज के सामने लाने में अपनी महती भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। ताकि आज जिसे हम वंचित समाज कह रहे हैं, उसमें स्वाभिमान का भाव जाग्रत हो। वंचित समाज के संबंध में अन्य समाज की धारणा भी बदले। सामाजिक समरसता के संदर्भ में मीडिया की भूमिका को समझने के लिए राष्ट्रगान की पंक्ति 'जन-गण-मन अधिनायकको ध्यान में रखना चाहिए। राजनीति के संदर्भ को जोड़ते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि जब समाज को आगे बढ़ाने की तैयारी मीडिया की है तब मीडिया यह विभाजन क्यों करता है कि किस सीट पर किस जाति के अधिक मतदाता हैं? यह उचित नहीं है। मीडिया को जाति के आधार पर मतदाता, उम्मीदवार और पार्टियों को नहीं बांटना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज युवा जिस तरह जातिवाद से ऊपर उठकर सोच रहा है, आगे बढ़ रहा है उसे देखकर कहा जा सकता है कि नए भारत का जो निर्माण होने वाला है, उसमें सब भारतीय ही होंगे। हर किसी की जाति सिर्फ भारतीय होगी। समरस भारत ही समृद्ध भारत बन सकता है।

भारत- पाकिस्तान एक होंगे : प्रो. कुठियाला ने कहा कि बाबा साहब का मानना था कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भारत से अलग होकर पाकिस्तान का निर्माण हुआ था। यह स्वाभाविक विभाजन नहीं था। इसलिए अनुकूल परिस्थितियां आने पर दोनों फिर से मिलकर अखण्ड भारत बन जाएंगे। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष संजय द्विवेदी ने किया। इस दौरान विश्वविद्यालय की एसटीएससी सेल के अध्यक्ष प्रदीप डहेरिया, संबद्ध संस्थाओं के निदेशक दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार गिरीश उपाध्याय, रामभुवन कुशवाह, संगीत वर्मा, अनिल सौमित्र, पुष्पेंद्रपाल सिंह, डा. राखी तिवारी भी मौजूद थे।

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