-संजय द्विवेदी
पाकिस्तान प्रायोजित हमलों
से तबाह भारत आज दुखी है, संतप्त है और क्षोभ से भरा हुआ है। उसकी जंग एक ऐसे देश
से है जो असफल हो चुका है, नष्ट हो चुका है और जिसके पास खुद को संयुक्त रखने का
एक ही उपाय है कि भारत के साथ युद्ध के हालात बने रहें। भारत का भय ही अब
पाकिस्तान के एक रहने का गारंटी है।
पाकिस्तान जैसा पड़ोसी पाकर
कोई भी देश सिर्फ दुखी रह सकता है। क्योंकि पाकिस्तान में सरकार जैसी कोई चीज है नहीं, और है भी तो, सेना तथा
आतंकी समूहों पर उसका कोई जोर नहीं है। ऐसे में भारत किसके साथ संवाद करना चाह रहा
है, किससे रिश्ते सुधारना चाह रहा है? और इस
उम्मीद में कि पड़ोसी सुधर जाएगा सात दशक बीत चुके हैं, कश्मीर से लेकर देश की
आंतरिक सुरक्षा को बिगाड़ने के लिए पाकिस्तान ने कितने षडयंत्र किए यह किसी से
छिपी बात नहीं है। किंतु यह सिलसिला जारी है और इसके रूकने की उम्मीद कम है। ‘अच्छा आतंकवाद’ और ‘बुरा आतंकवाद’ की
थ्योरी पर काम कर रहे पाकिस्तान को पता है कि चीजें उसके हाथ से भी निकल चुकी हैं।
वह अपने ही बनाए जाल में इस तरह फंस चुका है कि उसका सत्ता प्रतिष्ठान भी अब चाहकर
भी कुछ नहीं कर सकता। आतंकी संगठन और मौलाना वहां की सत्ता को इस तरह निर्देशित कर
रहे हैं कि सत्ता अपने मायने खो बैठी है।
कश्मीर की जंग को भी दरअसल
जमीन पर लड़ते हुए पाकिस्तान थक चुका है। इसलिए उसने सीधी कार्रवाई के बजाए कश्मीर
के युवाओं को आगे किया है। यह पत्थर फेंकने वाला गिरोह दरअसल पाकिस्तान प्रेरित
गुमराह युवा हैं, जिन्हें ‘पाकिस्तान रूपी जन्नत की हकीकत’ अभी पता नहीं हैं। वे आजादी के मायने में नहीं
जानते वरना उन्हें पाक अधिकृत कश्मीर के हालात देखने चाहिए,जो उनसे ज्यादा दूर
नहीं है। पाकिस्तान की इस आत्मघाती मानसिकता के निर्माण के पीछे दरअसल उसके जन्म
की कथा को भी देखना चाहिए। वह एक ऐसा राष्ट्र है, जिसका कोई सपना नहीं है। वह हर
तरह से भारत के विरोध से उपजा हुआ एक देश है। जिसने जिद करके एक भूगोल पाया है।
पाकिस्तान की रगों में
भारत-घृणा का खून है। वह एक बैचेन देश है, जिसने अपने सपने तो पूरे किए नहीं और न
खुद की एकता कायम रख सका। अपने लोगों पर दमन-अत्याचार की कहानी उसने बंटवारे के
बाद फिर दोहराई जिसका परिणाम बंगलादेश के रूप में सामने आया। आज भी वह बलूचिस्तान,
गिलगित और पीओके में यही कर रहा है। जम्मू और कश्मीर में भी उसे शांति सहन नहीं
होती। भारत में रहकर प्रगति कर रहे इलाके उसे रास नहीं आते। यहां हो रही चौतरफा
समृद्धि से उसे डाह होती है। बाकी देशों की तुलना में पाकिस्तान की जलन और कुढ़न
ज्यादा है, क्योंकि वह भारत से अलग होकर बना देश है। भारत विरोध उसके डीएनए में
है। खुद को बनाने, विकसित करने और अपनी ज्यादातर आबादी की खुशी के बजाए उसका सारा
ध्यान भारत को नष्ट करने, उसे तबाह करने में है।
एक नष्ट हो चुका देश, अपने
लोगों को न्याय दिलाने के बजाए बंदूकों और तोपों से बलूचिस्तान को रौंद रहा है।
ऐसे देश से मानवीय पहल की उम्मीदें व्यर्थ हैं। उनसे यह उम्मीद करना व्यर्थ है कि
वे लोगों की मौतों और आर्तनाद पर कोई संवेदना भरी प्रतिक्रिया देगें। भारत जैसे
देश ने पिछले सालों में आतंकवाद के नाम पर काफी कुछ सहा है, भोगा है। यह एक अंतहीन
पीड़ा है जिससे देश अब निजात चाहता है।
अपने लोगों की मौत पर उन्हें कंधा देते-देते भारत का मन दुखी है। वह एक विफल देश
द्वारा दिए जा रहे जख्मों को अब और नहीं सह सकता। पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान को
यह सोचना होगा कि भारत से तीन युद्ध लड़कर उसे क्या मिला? एक देश अलग हो गया- जिसका नाम बंगलादेश है।
पाकिस्तान अब एक छद्म युद्ध लड़ रहा है और भारत को उलझाए रखना चाहता है। एक विफल
देश इससे ज्यादा कर भी क्या सकता है। किंतु भारत के पास अब धीरज खो देने के अलावा
क्या विकल्प हैं। निश्चित ही भारत अमरीका नहीं है। वह रूस भी नहीं है, लेकिन भारत
एक स्वाभिमानी राष्ट्र जरूर है। उसे पता है अपने मुकुट मणि जम्मू-कश्मीर को दिए जा
रहे धावों का कैसा जवाब पाकिस्तान को देना है।
पाकिस्तानी दरअसल एक
बदहवासी में डूबा देश बन चुका है। जहां तर्क गायब हैं। जहां बुद्धिजीवियों,
पढ़े-लिखे तबकों की जुबानें बंद हैं। जहां भावना के आधार पर पंथिक तकरीरें करने
वाले लोग वहां का मिजाज बना रहे हैं। पाकिस्तान ने एक देश के रूप में अपने आप पर
भरोसा खो दिया है। वहां पर नान स्टेट एक्टर्स ज्यादा प्रभावी भूमिका में दिखते
हैं। ऐसे में इस पाकिस्तान का कायम रहना मानवता के लिए एक बड़ा संकट है। समूची
दुनिया इस खतरे को देख रही है, महसूस कर रही है। भारत के जख्म भी अब नासूर बन चुके
हैं। आज पाकिस्तान का सत्ता प्रतिष्ठान चाहकर भी विश्व समुदाय से कोई वादा करने की
स्थिति में नहीं है। वह आतंकी समूहों के प्रति मौन रहने के लिए मजबूर है। जिन्ना
का पाकिस्तान सच में बिखर चुका है। वह मानसिक,वैचारिक, सांगठनिक तीनों घरातल पर एक
टूटा हुआ देश है। बहुत सी क्षेत्रीय अस्मिताएं वहां इस पाकिस्तान से मुक्ति के लिए
चिंतित और प्रयासरत हैं। एक विफल देश के साथ हर कोई अपनी किस्मत नहीं जोड़ना चाहता।
हर सुबह काम पर जाते पाकिस्तानी शाम को घर सुरक्षित आने की दुआएं करते हुए निकलते
हैं। कराची से लेकर मुजफ्फराबाद तक यह आग फैली हुयी है। विश्व शांति के लिए खतरा
बन चुके पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान से मुक्ति ही इस संकट का समाधान है। ताकि इस
उपमहाद्वीप के लोग फिर से एक खूबसूरत-शांति प्रिय समाज और जमीन का सपना देख सकें।
क्या एक विफल हो चुके देश से मुक्ति अब विश्व मानवता का सपना नहीं होना चाहिए? लोगों के सुख-चैन और एक बेहतर दुनिया के लिए आप
कितना बर्दाश्त करेगें? भारत को तोड़ने का सपना देखने वाले अब इंतिहा कर
चुके हैं। सब्र का प्याला भी भर चुका है। ऐसे समय में विश्व समुदाय को पाकिस्तान
संकट का स्थार्ई हल निकालने के लिए तुरंत आगे आना चाहिए, ताकि एक सुंदर दुनिया का
सपने देखने की चाहत रखने वाली आंखें थक न जाएं।