सोमवार, 29 सितंबर 2014

प्रधानमंत्री के सपनों की दुनियाः मेक इन इंडिया

-संजय द्विवेदी


   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मेकइन इंडिया की योजना का शुभारंभ करते हुए एक ऐसे भारत का सपना देखा है, जिसमें रोजगार सृजन की अभूतपूर्व संभावनाएं अर्जित की जा सकती हैं। यह एक ऐसी योजना है जो एक नौजवान देश के हाथों को काम दे सकती है और व्यापार तथा उद्योग के क्षेत्र में देश एक लंबी छलांग लगा सकता है।
  इस अभियान के दो खास उद्देश्य हैं, जिसमें देश के युवाओं को काम उपलब्ध कराना तथा वैश्विक उद्योग जगत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना है। देश में मैनुफैक्चरिंग यानी विनिर्माण क्षेत्र को एक नई उंचाई की ओर ले जाना इस योजना का लक्ष्य है। इसके नतीजे निश्चित रूप से भारतीय उद्योग को एक नई उर्जा से भर देगें। दुनिया भर के बाजारों में आ रही मंदी के दौर के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था की गति और प्रगति बनी हुयी है। मेकइन इंडिया इसे और प्रखर बनाएगा। भारत की संभावनाओं और उसमें छिपे अवसरों का अभी पूरी तरह प्रगटीकरण नहीं हुआ है। दुनिया में सर्वाधिक युवा आबादी का देश होने के नाते हर तरह के काम कर सकने वाली श्रमशक्ति हमारे पास मौजूद है। इसीलिए हमारे प्रधानमंत्री मेकइन इंडिया के साथ-साथ ही स्किल डेवलेपमेंट यानि कौशल विकास की बात भी कर रहे हैं। तमाम तरह के कौशल से युक्त नौजवान आज अपने सपनों में रंग भर सकता है। जब उसके सामने अवसर होंगें तो वह उन उपलब्ध अवसरों को प्राप्त करते हुए देश की प्रगति में अपना योगदान दे सकता है। एक ठहरी हुए प्रगति के बजाए छलांग लगाकर आगे बढ़ने की भावना इससे बलवती हो सकती है।
    मेकइन इंडिया के चलते देश में कारोबारी माहौल में खासा बदलाव आएगा और दुनिया भर के निवेशक हमारी ओर आकर्षित होंगें। निवेशकों के अनूकूल वातावरण बनाना और उन्हें पल-पल होती कठिनाइयों से निजात दिलाकर उनके काम में सहयोगी माहौल देना भी इस योजना के लक्ष्य हैं। जाहिर तौर पर सरकार ने मेकइन इंडिया को प्रारंभ करने से पहले इस योजना के लक्ष्यों और इसके रास्ते आने वाली कठिनाईयों पर भी सोचा है। चिंतन किया है। यह योजना सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि नए भारत का नया नजरिया भी है। जिसमें एक विकास दृष्टि तो है ही साथ ही अपने युवाओं को प्रशिक्षित कर एक नया वातावरण देने की तैयारी भी है। प्रधानमंत्री का कारोबारियों से यह वादा करना साधारण नहीं है कि वे उनका पैसा डूबने नहीं देगें। यह धोषणा निश्चय ही कारोबारियों और निवेशकों का हौसला बढ़ाती है। लालफीताशाही को कम करने, कर ढांचे को सरल बनाने की निरंतर कोशिशें बताती है कि केंद्र सरकार अपने सपनों को सच करने की दिशा में प्रयास कर रही है।
   तमाम कठिनाईयों के चलते आज देश के बड़े उद्यमी भी दुनिया के तमाम देशों में निवेश कर रहे हैं। अप्रवासी भारतीय भी जो आज उद्यमिता की दुनिया में बड़ा नाम बना चुके हैं, लालफीता शाही के चलते स्वदेश में निवेश से घबराते हैं। प्रधानमंत्री इस समुदाय की चिंताओं को समझते हुए निरंतर एक सकारात्मक वातावरण बनाने के प्रयास कर रहे हैं। अमरीका में भी भारत वंशियों से संवाद करते हुए उन्होंने यह आह्वान किया कि उनका एक पैर भारत में भी होना चाहिए। यह सिर्फ अपनी जड़ों से जुड़े रहने का आह्वान भर नहीं है बल्कि देश की प्रगति में भारतवंशियों की भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील भी है। प्रधानमंत्री स्वयं मानते हैं कि तमाम पुराने पड़ चुके कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। अप्रवासी भारतीयों, विदेशी पर्यटकों और निवेशकों को आकर्षित करने वाली नीतियों से ही आने वाला भारत खुशहाल हो सकता है। इसीलिए वे भारतीय की संभावनाओं से पूरी दुनिया को परिचित करवा रहे हैं।
   तमाम देशों में उनका भ्रमण और अन्य नेताओं का भारत आना एक नए तरह के संवाद को जन्म दे रहा है। जिससे एक आत्मविश्वास और भविष्य की ओर देखते भारत का चेहरा सामने आ रहा है। मेकइन इंडिया एक नारा नहीं सरकार और जनता का सामूहिक संकल्प है। देश की चौतरफा प्रगति के सपने देख रहे लोगों और युवाओं को विकास की धारा से जोड़ने और उनकी क्षमताओं का प्रदर्शन भी इसमें जुड़ा है। आज देश में लघु और मध्यम उद्योगों की विकास दर लगभग दस प्रतिशत है। इसमें रोजगार की अपार संभावनाएं छिपी हैं। करीब आठ करोड़ लोग अपनी आजीवका इनसे प्राप्त करते हैं। मेकइन इंडिया के माध्यम से मैनुफैक्चरिंग उद्योगों का खासा विकास हो सकता है और रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं पैदा हो सकती हैं।
    मेकइन इंडिया का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने स्वयं कहा था कि पूरी दुनिया को भारत एक बहुत बड़ा बाजार नजर आता है,लेकिन जब तक यहां के लोगों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ेगी, बाजार बन नहीं सकता। प्रधानमंत्री की चिंता में वे लोग हैं जो गरीबी और मुफलिसी में जिंदगी गुजार रहे हैं। उनके जीवन स्तर को उठाना, उनका कौशल विकास कर उन्हें काम में लगाना उनकी चिंता का हिस्सा है। एक समर्थ भारत बनाने के उनके सपनों में सही मायने में अंतिम व्यक्ति का उत्थान ही निहित है। आखिरी आदमी को ताकत दिए बिना हम विश्व शक्ति नहीं बन सकते प्रधानमंत्री इस बात को बार-बार रेखांकित करते हैं। मेकइन इंडिया उसी उजले और समर्थ भारत का एक चेहरा बन सकता है, जिसका सपना हम भारत के लोग देख रहे हैं। सही मायने में यह अभियान, विकास की दिशा में भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कदम है, जो जनसहभागिता से निश्चित ही अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेगा।



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