आध्यात्मिक संचार को दुनिया में स्थापित करना होगाः कुठियाला
भोपाल, 2 दिसंबर,2011। पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का कहना है कि दिशाहीन व्यापार तंत्र और दिशाहीन शासनतंत्र ने समाज जीवन के हर क्षेत्र को आक्रांत कर रखा है। इसका असर मीडिया पर भी देखा जा रहा है। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में पत्रकारिता का धर्म विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
स्वामी जी ने कहा कि पत्रकारिता को ये दोनों तंत्र निगलने का प्रयास कर रहे हैं, इससे पत्रकारिता लोकमंगल के दायित्व को नहीं निभा पा रही है। इस गठबंधन से निकलने के लिए पत्रकारिता के प्राध्यापकों, मीडियाकर्मियों और मीडिया छात्रों को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि जिस देश में नारद मुनि और वेदव्यास जैसे पत्रकार एवं दिव्यदृष्टि संपन्न पुरोधा रहे हों, उस देश की पत्रकारिता में यह स्थितियां खतरनाक हैं। उनका कहना था कि पत्रकार ऐसी मेधा शक्ति उत्पन्न करें, जिससे भविष्य की घटनाओं का भी वे संकेत दे सकें। यह सारा कुछ प्रबल प्रारब्ध के बल से ही हासिल हो सकता है। छात्रों को समझाइस देते हुए स्वामी जी ने कहा कि पत्रकार को यदि समाज और अपना भविष्य उज्जवल बनाना है तो लोभ, भय, भावुकता और अविवेक को छोड़कर आगे आना होगा। इसके अलावा खबरों में सत्य, शिव और सुंदर की तलाश करनी होगी। ऐसी उजली पत्रकारिता ही देश का भविष्य गढ़ सकती है।
स्वामी जी ने कहना था कि मीडिया का आकार-प्रकार बहुत बढ़ गया है, उसका असर भी बढ़ रहा है। ऐसे में आज के मीडिया को ज्यादा जिम्मेदार और जवाबदेह होने की जरूरत है। किंतु खेद है कि ऐसा नहीं हो रहा है। आज के दौर में मीडिया की पहुंच लोगों की जिंदगी से लेकर निजी घटनाओं तक में हो गयी है। जिसके परिणाम बहुत घातक हो रहे हैं। इसलिए मीडिया को चाहिए कि वह अपनी लक्ष्मणरेखा भी तय करे। पाश्चात्य संस्कृति के प्रभावों ने हमारे जीवन और संस्कृति को आक्रांत कर रखा है। गुलामी के कालखंड की विकृतियों से हम अभी भी मुक्त नहीं हो सके हैं, इससे निजात पाने की जरूरत है, ताकि भारत का स्वाभिमान, सम्मान और स्वालंबन पूरी दुनिया में स्थापित हो सके। पत्रकारों का आह्वान करते हुए स्वामी जी ने कहा कि प्रत्येक घटना का सुमंगल पक्ष हो सकता है बस हमें उसे स्थापित करने की जरूरत है। उनका कहना था कि पश्चिम की पत्रकारिता हमारा आदर्श नहीं हो सकती। हमें अपने भारतीय विचारों पर खडी पत्रकारिता को स्वीकारना होगा क्योंकि वही हमें दुनिया में सम्मान दिला सकती है और समाज की स्वीकृति पा सकती है।
अपने संबोधन में कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने विश्वविद्यालय में पधारने पर महाराजश्री का स्वागत किया और कहा कि एक संस्कारवान पत्रकार पीढ़ी के निर्माण के लिए विश्वविद्यालय अनेक प्रयास कर रहा है। उन्होंने बताया कि विभिन्न पीठों के माध्यम से विश्वविद्यालय पत्रकारिता के वैकल्पिक दर्शन के निर्माण की भावभूमि तैयार कर रहा है। कुलपति ने कहा कि संचार के क्षेत्र में पूरी दुनिया के सामने आध्यात्मिक संचार के महत्व को स्थापित करते हुए उसे अध्ययन की विषयवस्तु भारत का दायित्व है। उन्होंने शंकराचार्य से आग्रह किया कि वे विश्वविद्यालय परिवार का निरंतर मार्गदर्शन करते रहें और समय-समय पर विद्यार्थियों व अध्यापकों से संवाद करें ताकि हमें सही दिशा मिल सके। कार्यक्रम के प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, विवि के छात्र पराक्रम सिंह शेखावत, छात्रा सुरभि मालू ने अपने विचारों से जगदगुरू के प्रति अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। पादुका पूजन एवं स्वस्ति वाचन से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। आयोजन में नगर के अनेक गणमान्य नागरिक, विवि के शिक्षक एवं विद्यार्थी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राघवेंद्र सिंह ने किया।
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