गुरुवार, 26 नवंबर 2020

आतंकवादी हमलों को स्वीकार नहीं करेगा नया भारत : मुरलीधरन

 



आईआईएमसी के सत्रारंभ समारोह में बोले विदेश राज्य मंत्री

नई दिल्ली, 26 नवंबर ''भारत अपने सभी पड़ोसियों के साथ मित्रता का भाव रखता है, लेकिन भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत अपनी सरजमीं पर आतंकवादी हमलों को स्वीकार नहीं करेगा।'' यह विचार विदेश राज्यमंत्री श्री वी. मुरलीधरन ने गुरुवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह-2020 के चौथे दिन व्यक्त किये।

'भारतीय विदेश नीति में महत्वपूर्ण परिवर्तन' विषय पर बोलते हुए श्री मुरलीधरन ने कहा कि आज मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमले की बरसी है। हमारे एक पड़ोसी देश ने अपने क्षेत्रीय संवाद के पहलू के तौर पर स्वेच्छा से आतंकवाद को अपनाया है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद पर भारत की समान प्रक्रिया ने उन देशों के बारे में हमारी नीति को बेहतर तरीके से उजागर किया है, जो आतंकवाद को अपनी विदेश नीति के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। हमने स्पष्ट कर दिया है कि नया भारत आतंकवादी हमलों को चुपचाप नहीं झेलता रहेगा।

विदेश नीति में मीडिया की भूमिका पर जोर देते हुए श्री मुरलीधरन ने कहा कि विदेश में भारत की सही तस्वीर प्रस्तुत करना मीडिया की जिम्मेदारी है। पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है। कई बार खबरों में भारत की गलत तस्वीर पेश की जाती है। इसलिए मीडिया के साथी रिपोर्टिंग करते वक्त तथ्यों और आंकड़ों का ध्यान अवश्य रखें।

विदेश राज्य मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत द्वारा स्थायी सदस्यता प्राप्त करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। ' एक्ट ईस्ट पॉलिसी' का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस नीति का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंध एवं रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाना है।

श्री मुलीधरन ने कहा कि कोविड-19 ने हमें आपसी जुड़ाव और एक दूसरे पर निर्भरता का आभास कराया है। हम इस शत्रु से अकेले नहीं लड़ सकते। यह बीमारी सीमाएं नहीं देखती, इसलिए इसके खिलाफ हमारी लड़ाई समन्वित होनी चाहिए।

इससे पहले कार्यक्रम के प्रथम सत्र में 'डिजिटल और सोशल मीडिया : लोकतंत्र का उभरता हुआ पांचवा स्तंभ' विषय पर बोलते हुए माइक्रोसॉफ्ट इंडिया के डायरेक्टर, लोकेलाइजेशन श्री बालेंदु शर्मा दाधीच ने कहा कि कुछ लोग डिजिटल मीडिया को लोकंतत्र के चौथे स्तंभ का हिस्सा मानते हैं, तो कुछ लोग इसे लोकंतत्र का पांचवा स्तंभ कहते हैं। लेकिन मेरे हिसाब से 'मीडिया' नहीं, बल्कि 'सूचना' लोकतंत्र का चौथ स्तंभ है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया ने आज एक नई क्रांति की है। सूचना एवं तकनीक के युग में आज प्रत्येक व्यक्ति एक मीडिया संस्थान है।

पटकथा लेखक एवं स्तंभकार सुश्री अद्धैता काला ने कहा कि आज पूरा विश्व न्यू मीडिया का इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि आज इंटरनेट पर सब कुछ एक क्लिक पर उपलब्ध है, आज आपको खबरों के लिए अखबार या पत्रिकाओं का इंतजार नहीं करना पड़ता। यही डिजिटल मीडिया की ताकत है।

वरिष्ठ पत्रकार श्री अभिजीत मजूमदार ने कहा कि डिजिटल मीडिया आज लोकतंत्र के चारों स्तंभों में सबसे ताकतवर है। आज लोगों को ये पता है कि उन्हें क्या पढ़ना है और क्या देखना है। इसलिए आज अपनी पसंद के अनुसार ही पाठक कंटेट चुनता है और उसके लिए पैसे देता है। अखबार में पाठक के पास ये सुविधा नहीं होती है। यही प्रिंट और डिजिटल मीडिया का सबसे बड़ा अंतर है। वरिष्ठ पत्रकार श्री शलभ उपाध्याय ने कहा कि वर्तमान समय में डिजिटल मीडिया को अपनी विश्वसनीयता बनाए रखनी होगी।

समारोह के दूसरे सत्र में 'विज्ञापन और जनसंपर्क उद्योग: COVID-19 युग में रचनात्मकता' विषय पर बोलते हुए गुडऐज़ के प्रमोटर श्री माधवेंद्र पुरी दास ने कहा कि पत्रकारिता और विज्ञापन एवं जनसंपर्क एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। पत्रकारिता का काम लोगों को सूचना देना एवं उन्हें किसी विषय पर राय बनाने में मदद करना है। यही काम विज्ञापन एवं जनसंपर्क का भी है। रिलायंस के कम्युनिकेशन चीफ श्री रोहित बंसल ने कहा कि कंपनियों को पाठकों और दर्शकों के अनुसार विज्ञापन एवं जनसंपर्क की रणनीति बनानी चाहिए। तभी कंपनियां अपने उद्देश्यों में सफल हो पाएंगी।

समारोह के पांचवे और अंतिम दिन शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, दूरदर्शन के महानिदेशक श्री मयंक अग्रवाल, एसोसिएटेड प्रेस टीवी की साउथ एशिया हेड सुश्री विनीता दीपक एवं नेटवर्क 18 के मैनेजिंग एडिटर श्री ब्रजेश सिंह विद्यार्थियों से रूबरू होंगे। कार्यक्रम के समापन सत्र में आईआईएमसी के पूर्व छात्र नए विद्यार्थियों से रूबरू होंगे। इन पूर्व छात्रों में आज तक के न्यूज़ डायरेक्टर श्री सुप्रिय प्रसाद, न्यूज़ नेशन के कंसल्टिंग एडिटर श्री दीपक चौरसिया एवं कौन बनेगा करोड़पति के इस सीज़न की पहली करोड़पति श्रीमती नाज़िया नसीम शामिल हैं।

लघु उद्योगों के विकास से होगा आत्मनिर्भर भारत का निर्माण : आदित्य झा

           


नई दिल्ली, 25 नवंबर । ''अगर हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, तो लघु उद्योगों पर ध्यान देना होगा। लघु उद्योगों के विकास से ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव है।'' यह विचार कनाड़ के प्रसिद्ध उद्यमी श्री आदित्य झा ने बुधवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह-2020 के तीसरे दिन व्यक्त किये।

'उद्यमिता एवं आत्मनिर्भर भारत' विषय पर बोलते हुए श्री झा ने कहा कि भारत में युवा बड़ी बड़ी कंपनियां शुरू करना चाहते हैं, लेकिन लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की और किसी का ध्यान नहीं है। अगर आप एक छोटी कंपनी या छोटा सा स्टार्टअप भी शुरू करते हैं, तब भी आप एंटरप्रेन्योर ही कहलाएंगे। इसलिए मैं युवाओं से कहना चाहूंगा कि वे छोटे उद्योगों पर ध्यान दें।

श्री झा ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले हम अपनी सोच में आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने कहा कि आज बड़े बिजनेस मॉडल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है। इसलिए आज छोटे उद्योगों को बड़ा बनाने की जरुरत है। आज ‘मल्टीनेशनल कंपनी’ की जगह ‘माइक्रो मल्टीनेशल कंपनी’ बनाने की आवश्यकता है। 

इस अवसर पर इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एसोसिएट डीन प्रोफेसर सिद्धार्थ शेखर सिंह ने कहा कि भारत हमेशा से आत्मनिर्भर रहा है और वर्तमान सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किये गए स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत लगभग 23 हजार स्टार्टअप शुरू किये गये हैं। आज भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईको सिस्टम है, जो लगभग 4 लाख नौकरियां प्रतिवर्ष पैदा करता है।

प्रो. सिंह ने कहा कि भारत सरकार अपना पूरा ध्यान देश को आत्मनिर्भर बनाने में केंद्रित कर चुकी है। कोरोना के कारण आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है, जिससे अब सरकार के प्रयासों में और तेजी आएगी। भारत के आत्मनिर्भर अभियान को सफल बनाने के लिए अच्छी नीति के साथ ही उसका क्रियान्वयन भी आवश्यक है।

इससे पहले कार्यक्रम के प्रथम सत्र में बोलते हुए हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दया थुस्सु ने कहा कि कोरोना ने हमें शैक्षणिक क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से सॉफ्ट पॉवर नीति का समर्थक रहा है और अपनी इस नीति के माध्यम से ही उसने विश्व में सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया है। भारत की आध्यात्मिकता, योग, दर्शन, धर्म आदि के साथ-साथ अहिंसा और लोकतांत्रिक विचारों ने वैश्विक समुदाय को आकर्षित किया है। प्रोफेसर थुस्सु ने कहा कि भारत सरकार वैश्विक पटल पर योग को भारतीय विरासत के रूप में प्रस्तुत करने में सफल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के आग्रह पर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। यह भारत की सॉफ्ट पॉवर को दिखाता है।

अमेरिका की हार्टफोर्ड यूनिसर्विटी के प्रोफेसर संदीप मुप्पिदी ने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त में सूचनाओं के प्रसारण, विश्लेषण और आयामों को लेकर जिस तरह की संजीदा भूमिका मीडिया ने अदा की है, वह वाकई में सराहनीय है। लेकिन इस न्यू मीडिया के दौर में लोगों को सूचनाओं और दुष्प्रचार में अंतर करना होगा। पूरे विश्व में स्मार्टफोन्स की संख्या बढ़ने से गलत खबरों का प्रचार ज्यादा तेजी से हो रहा है। इसलिए आज हमें ‘सूचनाओं’ को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ानी होगी और समझ पैदा करनी होगी।


सोमवार, 23 नवंबर 2020

सनसनी नहीं, देश में जो कुछ अच्छा हो रहा है वह भी खबर है: प्रकाश जावड़ेकर

 


आईआईएमसी के 2020-21 शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ

नई दिल्ली, 23 नवंबर। भारतीय जन संचार संस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 का सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से उद्घाटन करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारिता के छात्रों को सलाह दी कि वे अनावश्यक सनसनी और टीआरपी केंद्रित पत्रकारिता के जाल में फंसने की बजाय, स्वस्थ पत्रकारिता के गुर सीखें और समाज में जो कुछ अच्छा काम हो रहा है उसे भी समाचार मानकर लोगों तक पहुंचाएं। उन्होंने यह भी कहा कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से शिक्षा में हो रहे व्यापक बदलाव का हम सभी को स्वागत करना चाहिए और उसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, अपर महानिदेशक श्री के. सतीश नम्बूदिरिपाड सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि पत्रकारिता एक जिम्मेदारी है, दुरुपयोग का साधन नहीं। आपकी स्टोरी में यदि दम है, तो उसके लिए किसी नाटक अथवा सनसनी की जरुरत नहीं है। समाज में अच्छी खबरें इतनी हैं, परन्तु दुर्भाग्य से उन्हें कोई दिखाता नहीं है। रचनात्मक पत्रकारिता को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जब से सरकार ने खाद की नीम कोटिंग शुरू की, तब से खाद की कालाबाजारी रुकी है। रेलवे का कोई गेट अब ‘अनमैन’ नहीं रहा, इसलिए दुर्घटनाएं बंद हो गई हैं। स्वच्छता की दृष्टि से भी रेलवे में बहुत सुधार हुआ है। पांच हजार रेलवे स्टेशन आज वाई-फाई से जुड़े हैं। करीब 100 नए एयरपोर्ट देश में शुरू हुए हैं, जिनका लाभ लाखों लोग ले रहे हैं। क्या ये सभी खबरें नहीं हैं?

करीब दो लाख गांवों तक फाइबर कनेक्टिविटी पहुंची है, जिससे वहां के जीवन में बदलाव आया है। फ्री डिश के माध्यम से अब 104 चैनल और 50 एजुकेशनल चैनल निशुल्क देखे जा सकते हैं। देश में 300 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन चल रहे हैं। कभी जाकर देखिए इनसे कितने स्थानीय कलाकारों को अवसर मिल रहा है और उनसे समाज जीवन में कैसा बदलाव आया है। ढाई करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मकान मिले हैं, बारह करोड़ लोगों को टॉयलेट्स मिले हैं, उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन मिले हैं, चालीस करोड़ लोगों के बैंक खाते खुले हैं, पचास करोड़ लोगों को पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा मिली है। क्या ये सब खबरें नहीं हैं?

'हर घर नल से जल' का सपना अब आजादी के 70 साल बाद पूरा होने जा रहा है। प्रत्येक गांव में बिजली पहुंच चुकी है। आज चार—पांच सौ योजनाओं की सब्सिडी और मदद लोगों को डीबीटी के माध्यम से सीधे मिल रही है। इससे एक लाख 75 हजार रुपए की चोरी रुकी है। क्या ये न्यूज नहीं है? दूसरी घटनाएं भी न्यूज हैं, परन्तु ये भी न्यूज है, यह हमें समझना चाहिए। समाज को आगे बढाने की दिशा में योगदान ही पत्रकारिता का धर्म है।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि पत्रकारिता का पहला मंत्र यह है कि जीवन के सभी क्षेत्रों में लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली सारी घटनाएं खबर हैं, जो ठीक से लोगों तक पहुंचानी हैं। मीडिया की आजादी लोकतंत्र का महत्वपूर्ण आयाम है। इसे संभालकर रखना है। परंतु यह आजादी जिम्मेदारी के साथ आती है। इसलिए हम सभी को जिम्मेदार भी होना है। पत्रकार के रूप में आप सभी पक्ष—विपक्ष को सुनें, परंतु समाज को अच्छी दिशा में ले जाने के लिए ही हमारी पत्रकारिता काम करे। टीआरपी रेटिंग को ध्यान में रखकर जो पत्रकारिता हो रही है, वह सही रास्ता नहीं है। 50 हजार घरों में लगा मीटर 22 करोड़ दर्शकों की राय नहीं हो सकता। हम इसका दायरा बढाएंगे, ताकि इस बात का पता चल सके कि सही मायने में लोग क्या देखते हैं और क्या देखना चाहते हैं।

इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि एक शिक्षक के लिए उसके विद्यार्थियों से प्रिय कोई चीज नहीं होती। विद्यार्थियों की सफलता ही किसी संस्थान, उसके शिक्षकों और उसके प्रबंधकों की सफलता है। हमारी पूरी कोशिश है कि हम विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान कर सकें। 

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि हम चाहते हैं कि दुनिया के सफलतम लोगों से हमारे विद्यार्थी संवाद कर पाएं। उनसे वह गुण और जिजीविषा सीख पाएं, जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में नेतृत्वकारी भूमिका में आता है। सिर्फ पत्रकार तैयार करना हमारा लक्ष्य नहीं है, हम चाहते हैं कि हम ग्लोबल लीडर्स पैदा करें, जो आने वाले दस वर्षों में पत्रकारिता और जनसंचार की दुनिया में सबसे बड़े और वैश्विक स्तर के नाम बनें।

सत्रारंभ के प्रथम दिन अपर महानिदेशक श्री के. सतीश नम्बूदिरिपाड ने विद्यार्थियों को आईआईएमसी के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसके बाद सभी संकाय सदस्यों का विद्यार्थियों से परिचय हुआ। अंतिम सत्र में ‘एक्सचेंज4मीडिया’ और ‘बिजनेस वर्ल्ड’ के संस्थापक डॉ. अनुराग बत्रा ने विद्यार्थियों को स्वस्थ पत्रकारिता के गुर सिखाये। कार्यक्रम का संचालन प्रो. सुरभि दहिया ने किया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन मंगलवार को प्रसिद्ध फिल्म निर्माता श्री सुभाष घई, वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश उपाध्याय, हिन्दुस्तान टाइम्स के संपादक श्री सुकुमार रंगनाथन, ऑर्गेनाइजर के संपादक श्री प्रफुल्ल केतकर, गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा एवं सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज, चेन्नई के निदेशक डॉ. जे.के. बजाज विद्यार्थियों से रूबरू होंगे।


बुधवार, 28 अक्तूबर 2020

आईआईएमसी और उज़्बेकिस्तान के पत्रकारिता विश्वविद्यालय के बीच एमओयू

 



नई दिल्ली, 28 अक्टूबर । भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) ने यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज़्बेकिस्तान के साथ एक समझौता पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका उद्देश्य पत्रकारिता और जनसंचार शिक्षा को प्रोत्साहन देना एवं मौलिक, शैक्षणिक एवं व्यावहारिक अनुसंधान के क्षेत्रों को परिभाषित करना है।

आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने एमओयू के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस समझौते के माध्यम से दोनों संस्थान टीवी, प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया, जनसंपर्क, मीडिया भाषा विज्ञान और विदेशी भाषाओं जैसे विषय पर शोध को बढ़ावा देंगे। उन्होंने कहा कि इस समझौते से हमें एक दूसरे की कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों को जानने एवं समझने का मौका मिलेगा। इसके अलावा यह समझौता अनुसंधान और शैक्षिक डेटा के आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित करेगा और संयुक्त कार्यक्रमों को आयोजित करने के अवसरों का भी जरिया बनेगा।

प्रो. द्विवेदी के मुताबिक आईआईएमसी का उद्देश्य आज की जरुरतों के अनुसार ऐसा मीडिया पाठ्यक्रम तैयार करना है, जो छात्रों के लिए रोजगापरक हो। इस दिशा में हम यूनिवर्सिटी ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशंस ऑफ उज़्बेकिस्तान के साथ मिलकर कार्य करने के लिए अग्रसर हैं। इसके साथ ही संस्थान का उद्देश्य छात्रों और संकाय सदस्यों को वैश्विक संपर्क प्रदान करना भी है। हमने आने वाले वर्षों में विदेशी शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग का विस्तार करने और अनुसंधान और शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देने का लक्ष्य रखा है।