नई दिल्ली, 25 नवंबर । ''अगर हमें भारत को आत्मनिर्भर बनाना है, तो लघु उद्योगों पर ध्यान देना होगा। लघु उद्योगों के विकास से ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण संभव है।'' यह विचार कनाड़ के प्रसिद्ध उद्यमी श्री आदित्य झा ने बुधवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के सत्रारंभ समारोह-2020 के तीसरे दिन व्यक्त किये।
'उद्यमिता एवं आत्मनिर्भर भारत' विषय पर बोलते हुए श्री झा ने कहा कि भारत में युवा बड़ी बड़ी कंपनियां शुरू करना चाहते हैं, लेकिन लघु एवं सूक्ष्म उद्योगों की और किसी का ध्यान नहीं है। अगर आप एक छोटी कंपनी या छोटा सा स्टार्टअप भी शुरू करते हैं, तब भी आप एंटरप्रेन्योर ही कहलाएंगे। इसलिए मैं युवाओं से कहना चाहूंगा कि वे छोटे उद्योगों पर ध्यान दें।
श्री झा ने कहा कि आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक है कि सबसे पहले हम अपनी सोच में आत्मनिर्भर बनें। उन्होंने कहा कि आज बड़े बिजनेस मॉडल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कोरोना की वजह से अर्थव्यवस्था संकट के दौर से गुजर रही है। इसलिए आज छोटे उद्योगों को बड़ा बनाने की जरुरत है। आज ‘मल्टीनेशनल कंपनी’ की जगह ‘माइक्रो मल्टीनेशल कंपनी’ बनाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के एसोसिएट डीन प्रोफेसर सिद्धार्थ शेखर सिंह ने कहा कि भारत हमेशा से आत्मनिर्भर रहा है और वर्तमान सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये हैं। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए शुरू किये गए स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत लगभग 23 हजार स्टार्टअप शुरू किये गये हैं। आज भारत में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ईको सिस्टम है, जो लगभग 4 लाख नौकरियां प्रतिवर्ष पैदा करता है।
प्रो. सिंह ने कहा कि भारत सरकार अपना पूरा ध्यान देश को आत्मनिर्भर बनाने में केंद्रित कर चुकी है। कोरोना के कारण आत्मनिर्भरता की आवश्यकता और अधिक महसूस की जा रही है, जिससे अब सरकार के प्रयासों में और तेजी आएगी। भारत के आत्मनिर्भर अभियान को सफल बनाने के लिए अच्छी नीति के साथ ही उसका क्रियान्वयन भी आवश्यक है।
इससे पहले कार्यक्रम के प्रथम सत्र में बोलते हुए हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर दया थुस्सु ने कहा कि कोरोना ने हमें शैक्षणिक क्षेत्र में परिवर्तन करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से सॉफ्ट पॉवर नीति का समर्थक रहा है और अपनी इस नीति के माध्यम से ही उसने विश्व में सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया है। भारत की आध्यात्मिकता, योग, दर्शन, धर्म आदि के साथ-साथ अहिंसा और लोकतांत्रिक विचारों ने वैश्विक समुदाय को आकर्षित किया है। प्रोफेसर थुस्सु ने कहा कि भारत सरकार वैश्विक पटल पर योग को भारतीय विरासत के रूप में प्रस्तुत करने में सफल रही है। संयुक्त राष्ट्र ने भारत सरकार के आग्रह पर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी है। यह भारत की सॉफ्ट पॉवर को दिखाता है।
अमेरिका की हार्टफोर्ड यूनिसर्विटी के प्रोफेसर संदीप मुप्पिदी ने कहा कि कोरोना महामारी के वक्त में सूचनाओं के प्रसारण, विश्लेषण और आयामों को लेकर जिस तरह की संजीदा भूमिका मीडिया ने अदा की है, वह वाकई में सराहनीय है। लेकिन इस न्यू मीडिया के दौर में लोगों को सूचनाओं और दुष्प्रचार में अंतर करना होगा। पूरे विश्व में स्मार्टफोन्स की संख्या बढ़ने से गलत खबरों का प्रचार ज्यादा तेजी से हो रहा है। इसलिए आज हमें ‘सूचनाओं’ को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ानी होगी और समझ पैदा करनी होगी।
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