शुक्रवार, 23 दिसंबर 2022

भारतीय संस्कृति, धर्म और नीति की शिक्षा के पक्षधर थे मालवीय : मुरली मनोहर जोशी


राष्ट्र निर्माण था अटल बिहारी वाजपेयी की पत्रकारिता का लक्ष्य : अशोक टंडन

भारतीय जन संचार संस्थान में 'शुक्रवार संवादकार्यक्रम का आयोजन



नई दिल्ली23 दिसंबर। भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय जन संचार संस्थान द्वारा आयोजित 'शुक्रवार संवाद' को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय भारतीय संस्कृतिधर्म और नीति की शिक्षा के पक्षधर थे। महामना के शिक्षा दर्शन के मूल में विद्यार्थियों के शारीरिकमानसिकबौद्धिक और आध्यात्मिक विकास की अवधारणा थी। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के तत्कालीन मीडिया सलाहाकार श्री अशोक टंडनआईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदीअपर महानिदेशक श्री आशीष गोयलडीन (अकादमिक) प्रो. गोविंद सिंह एवं डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार सहित आईआईएमसी के सभी केंद्रों के संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

'मदन मोहन मालवीय की शिक्षा दृष्टि' विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मालवीय जी स्वतंत्रता सेनानीराजनीतिज्ञ और शिक्षाविद् ही नहींबल्कि एक बड़े समाज सुधारक भी थे। देश से जातिगत बेड़ियों को तोड़ने में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान था। उनका कहना था कि जो शिक्षा लोगों में भेदभाव करेगीवो हमें स्वीकार नहीं है।

डॉ. जोशी ने कहा कि मालवीय जी की दूरदृष्टि कहां तक जाती थीइस पर समग्र रूप से विचार करने के लिए उनके जीवन के विविध पहलुओं का अध्ययन आवश्यक है। मालवीय जी भारतीय समाज एवं राष्ट्र के निर्माण के लिए ऐसे लोगों का सृजन करना चाहते थेजो समग्र रूप से विकसित होंआधुनिक ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में दक्ष हों और भारतीय संस्कृति में निहित मूल्यों पर चलने वाले हों।

इस अवसर पर 'अटल बिहारी वाजपेयी और पत्रकारिता के मूल्य' विषय पर विचार व्यक्त करते हुए श्री अशोक टंडन ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। अटलजी जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते थे। श्री टंडन ने कहा कि अटल जी ने कठिन परिस्थितियों में पत्रकारिता की शुरुआत की और वह अखबार में खबर लिखनेसंपादन करने और प्रिंटिंग के साथ साथ समाचार पत्र वितरण का कार्य भी स्वयं करते थे।

श्री टंडन के अनुसार अटल जी ने मूल्यों की पत्रकारिता की और इसी वजह से आज भी पत्रकार अटल जी को अपना रोल मॉडल मानते हैं। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी राजनेता बनने से पहले एक पत्रकार थे। वह देश और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा से पत्रकारिता में आए थे। उनके जीवन का लक्ष्य पत्रकारिता के माध्यम से पैसे कमाना नहींबल्कि राष्ट्र निर्माण था। उनकी कविताएं नौजवानों में उत्साह जगाने वाली थीं। अटल जी का मानना था कि समाचार पत्रों के ऊपर एक बड़ा राष्ट्रीय दायित्व है। भले ही हम समाचार पत्रों की गणना उद्योग में करेंलेकिन समाचार पत्र केवल उद्योग नहीं हैंउससे भी कुछ अधिक हैं।

कार्यक्रम का संचालन डिजिटल मीडिया विभाग की प्रमुख डॉ. रचना शर्मा ने किया।

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