युगतेवर’ पत्रिका के संपादक श्री कमलनयन पांडेय
12 वें पं. बृजलाल द्विवेदी सम्मान से सम्मानित
भोपाल। प्रख्यात साहित्यकार एवं ‘युगतेवर’
पत्रिका के संपादक श्री कमलनयन पांडेय को 12वें पं. बृजलाल
द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया।
भोपाल के गांधी भवन में मीडिया विमर्श पत्रिका एवं मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम के
संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह में उनको सम्मानित किया गया। इस अवसर
पर मुख्य अतिथि प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता एवं विचारक श्री रघु ठाकुर ने
कहा कि पत्रकारिता की डिग्री के लिए साहित्य पढ़ना भले जरूरी न हो लेकिन एक अच्छा
इंसान होने के लिए साहित्य पढ़ना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के लिए
विज्ञापन एक रोग है, किंतु विज्ञापन के बिना पत्र-पत्रिकाओं
का प्रकाशन कठिन कार्य है।
समाजवादी चिंतक श्री रघु
ठाकुर ने कहा कि आज के अखबारों में नेताओं के बारे में, उनके निजी जीवन के बारे में तो बहुत
कुछ छपता है लेकिन साहित्यकारों के बारे में, उनके निजी जीवन
के बारे में नहीं छपता है। उन्होंने कहा कि साहित्यकारों के बारे में, उनके सृजन के बारे में लोगों को जानकारी देनी चाहिए, अखबारों में साहित्यकारों को प्रमुखता से स्थान देना चाहिए। अगर अखबार
पढ़ने से तनाव पैदा होता है, बेचैनी होती है, तो होनी भी चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त खामियां और समस्याओं
को बदलने की शक्ति होनी चाहिए। अगर समाज में लोगों के साथ अन्याय हो रहा है तो
उसके लिए बेचैनी होनी चाहिए, उसके साथ खड़ा होना चाहिए।
सच्चा राष्ट्रवादी वही होगा जो सच्चा विश्ववादी होगा :
राष्ट्रवाद के संबंध में अपनी
बात रखते हुए रघु ठाकुर ने कहा कि एक सच्चा राष्ट्रवाद वही होगा जो सच्चा
विश्ववादी होगा। अगर सभी देश अपनी सीमाओं को छोड़ने के लिए तैयार हो जाए तभी असली
राष्ट्रवाद की नींव रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि मीडिया और राष्ट्रवाद के बीच
संघर्ष की स्थिति नहीं होनी चाहिए।
पत्रकारिता के केंद्र में मनुष्य होता है : प्रो. कमल दीक्षित
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. कमल दीक्षित ने कहा कि पत्रकारिता
देश और समाज के लिए नहीं होती बल्कि मनुष्यता के लिए होती है। इसलिए पत्रकारिता के
केंद्र में मनुष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारिता
सामाजिक सरोकारों और मूल्यों से कट गई है। मीडिया का मूल्यानुगत होना आवश्यक है।
पिछले कुछ वर्षों से हम इसी दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
समाज के लिए जरूरी है असहमति : कमलनयन पांडेय
त्रैमासिक पत्रिका युगतेवर के संपादक श्री कमलनयन पांडेय ने कहा कि
समाज में असहमति जरूरी है। जहां असहमति नहीं होती है, वहां सत्य का विस्फोट नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि शब्द सिर्फ शब्द नहीं होता है। शब्द संस्कृति होता है, प्रतीक होता है। उन्होंने प्रतीकों पर आधारित पत्रकारिता पर जोर देते हुए
कहा कि जब रचनाकार रचना करता है तो वह प्रतीकों में रच बस जाता है। श्री पांडेय ने
कहा कि शब्दों और प्रतीकों का अपना उत्कर्ष और अपकर्ष होता है। उन्होंने आदि
पत्रकार नारद का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ लोग उन्हें चुगलखोर की संज्ञा देते
हैं लेकिन यह सत्य नहीं है। उन्होंने कहा कि नारद हमेशा
कमजोर और शोषित वर्ग के लिए खड़े रहे और संचार संवाद का काम किया। उन्होंने कहा कि
एक पत्रकार के रूप में आज भी नारद जीवित हैं।
लघु पत्रिका को परिभाषित करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि जो संसाधन में
सीमित हो लेकिन उद्देश्यों में महान हो उसे लघु पत्रिका कहते हैं। उन्होंने कहा कि
लघु पत्रिकाओं ने सीमित दायरे में ही सही लेकिन पाठकों को सामाजिक सरोकारों से
जोड़े रखा है। तमाम वैश्वीकरण और स्थानीयता के संघर्ष के बीच लघु पत्रिकाएं
स्थानीयता को बचाने में पूरी ताकत से लगी हुई हैं। उन्होंने कहा कि लघु पत्रिकाओं
का भविष्य आन्दोलनों में ही है। अंत में लघु पत्रिकाएं ही जनसंघर्ष और जनता का मंच
बनेंगी।
इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के
रूप में उपस्थित वरिष्ठ लेखक श्री गिरीश पंकज ने कहा कि लघु पत्रिकाएं एक
महत्वपूर्ण दस्तावेज होती हैं, संग्रहणीय होती हैं। अखबारों की तरह हम उन्हें फेंकते नहीं है बल्कि
संग्रहित कर के रखते हैं। मीडिया विमर्श का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस
पत्रिका के भी सभी अंक संग्रहणीय होते हैं।
बाजार सेवक के बजाए स्वामी बन गया हैः विजयदत्त श्रीधर
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे
पद्मश्री से अलंकृत प्रख्यात पत्रकार श्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि
पत्रकारिता को सामाजिक सरोकारों और मूल्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि
ऐसा नहीं है कि पहले बाजार नहीं थे, बाजार पहले भी थे। लेकिन आज बाजार सेवक की बजाय स्वामी बन
गया है। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता की चिंता व्यक्ति करते हुए कहा कि एक समय था,
जब अखबारों में हिंदी के गद्य शामिल किए जाते थे। लेकिन आज जबरन
अंग्रेजी के शब्दों को जोड़ा जा रहा है।
कार्यक्रम का संचालन दिल्ली से
आईं साहित्यकार डॉ. पूनम मटिया ने किया। स्वागत भाषण श्रीकांत सिंह ने दिया और
धन्यवाद ज्ञापन डॉ. बीके रीना ने किया।
पत्रकारिता पर केंद्रित दो पुस्तकों का विमोचन :
कार्यक्रम में पत्रकारिता पर केंद्रित दो महत्वपूर्ण पुस्तकों का भी विमोचन
हुआ। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के अध्येयता डॉ. सौरभ मालवीय एवं श्री लोकेंद्र सिंह
की पुस्तक "राष्ट्रवाद और मीडिया" और मीडिया प्राध्यापक प्रो. संजय
द्विवेदी एवं वरिष्ठ टेलीविजन पत्रकार डॉ. वर्तिका नंदा की पुस्तक "नये समय
में अपराध पत्रकारिता" का विमोचन हुआ। आयोजन में अनेक साहित्यकारों,
पत्रकारों, प्राध्यापकों और मीडिया छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया।
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