बुधवार, 3 नवंबर 2010
अंधकार को क्यों धिक्कारें, अच्छा है एक दीप जला लें
Labels:
संजय द्विवेदी
प्रो.संजय द्विवेदी, देश के जाने-माने पत्रकार, संपादक, लेखक, संस्कृतिकर्मी और मीडिया गुरु हैं। दैनिक भास्कर, हरिभूमि, नवभारत, स्वदेश, इंफो इंडिया डाटकाम और छत्तीसगढ़ के पहले सेटलाइट चैनल जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ जैसे मीडिया संगठनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में 10 वर्ष मास कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष, विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति और कुलसचिव भी रहे। भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली (आईआईएमसी) के पूर्व महानिदेशक हैं। 'मीडिया विमर्श' पत्रिका के सलाहकार संपादक। राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया के मुद्दों पर निरंतर लेखन। अब तक 35 पुस्तकों का लेखन और संपादन। अनेक संगठनों द्वारा मीडिया क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामना!
जवाब देंहटाएंमावस जब भी आए
जवाब देंहटाएंहम सब दीप जलाएं
राम भरत से भाई
घर घर में बस जाएं।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।
सही कहा आपने। अंधकार को धिक्कारने से अच्छा है एक दीप जला लें।
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को महापर्व दीपोत्सव की शुभकामनाएं।
'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
जवाब देंहटाएंदीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर