‘एफडीआई एवं खाद्य सुरक्षा अधिनियम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव’ विषय पर परिचर्चा सम्पन्न
भोपाल,
10 जून।
वरिष्ट पत्रकार एवं लेखक संजय द्विवेदी का कहना है केन्द्र सरकार अमरीका की
अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए भारतीय अर्थव्वस्था को डूबोने वाले कानून बना रही
है। अमरीकी आर्थिक सल्तनत को जीवित रखने के लिये भारतीय खुदरा बाजार को दांव पर
लगाया जा रहा है। वे यहां अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत द्वारा स्वराज भवन सभाग्रह,
रवीन्द्र भवन परिसर में ‘एफडीआई
एवं खाद्य सुरक्षा अधिनियम का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव’ विषय पर आयोजित
परिचर्चा में मुख्यअतिथि की आसंदी से बोल रहे थे। उनका कहना था कि भारत में अर्थशास्त्री
प्रधानमंत्री के नाम का हौवा बनाया गया, लेकिन इन्हीं
ईमानदार प्रधानमंत्री के नेतृत्व में लाखों करोड़ों के घपले हो रहे हैं। उनकी
ईमानदारी और अर्थशास्त्र दोनों औंधे मुंह गिरे हुए हैं। रूपया डूब रहा है, डालर को ओर उंचाई पर पहुंचाने वाले
कानूनों को लागू करने की तैयारी हो चुकी है। देश के खुदरा व्यवसाय में एफडीआई और खाद्य सुरक्षा
कानूनों के नाम करोड़ों का रोजगार छीनने की तैयारी की जा रही है।
श्री द्विवेदी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था
को विदेशी कंपनियों पर आश्रित करने की योजना इन कानूनों के रूप में सामने आ रही
है। यह विदेशी शक्तियों का षडयंत्र कहें या भारत सरकार का अमेरीका के हाथों
कठपुतली बनना। उनका कहना था कि हमें इन कानूनों को लागू होने से रोकने के लिये
जागृत जनमत चाहिये। उन्होंने कहा कि देश में जब साहूकार प्रथा थी तो भी कभी किसानों ने
आत्महत्या नहीं की, लेकिन बदलती आर्थिक नीतियों के चलते
किसान आत्महत्या को मजबूर हैं। खाद्य सुरक्षा कानून और एफ.डी.आई. आने पर यही हालात
में छोटे व्यापारी भी आत्महत्या के मजबूर हो जाएंगें।
कार्यक्रम की अध्यक्षता
कर रहे अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत राष्ट्रीय सचिव अशोक त्रिवेदी ने कहा कि ग्राहक के बिना कोई अर्थव्यवस्था नहीं चल
सकती। ग्राहक नहीं तो अर्थव्यवस्था नहीं। स्वस्थ अर्थव्यव्यवस्था और बाजार
व्यवस्था सुचारू चलाने के लिये ग्राहक का सहभाग आवश्यक है। अतः ग्राहकों को अधिकार
सम्पन्न एवं जागरूक बनाना होगा। वर्तमान में यही ग्राहक विश्व की बड़ी कम्पनियों
के निशाने पर हैं। उनकी लार भारतीय ग्राहकों पर टपक रही है और उनके इशारे पर
केन्द्र सरकार ने भारतीय बाजार विदेशी कम्पनियों के लिये खौल दिये हैं। विश्व में
जिन देशों में एफडीआई लागू हुआ, वहां अर्थव्यवस्था पर विदेशियों का कब्जा हो गया।
स्थानीय उद्योग धन्धे चौपट हो गये, लोग
बेरोजगार हुए। जब यह माल संस्कृति असफल हो गई तो उन्होंने भारतीय बाजारों को
कब्जाने के लिए भारत सरकार को मोहरा बनाया। इसलिये इसका व्यापक विरोध होना चाहिये
और उसका एक ही तरीका हो सकता है विदेशी कंपनियों का बहिष्कार। उनका कहना था कि खाद्य
सुरक्षा कानून का सरलीकरण होना चाहिये और जुर्माना कम होना चाहिये।
कार्यक्रम के
संयोजक एवं कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेड्स (केट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधेश्याम माहेश्वरी ने कहा कि खाद्य
सुरक्षा कानून भारतीय व्यापार की रीढ़ तोड़ने वाला कानून है। इसमें केन्द्र सरकार
विदेशी कंपनियों का मुखौटा बनकर काम कर रही है। इस आयोजन में सराफा एसोशिएन के
नवनीत अग्रवाल, विवेक गुप्ता, मोहन शर्मा, कैलाश मिश्रा, सैय्यद फरहान, अनुपम
अग्रवाल, पारूल मिश्रा, हरिनारायण माली, चंद्रमोहन अग्रवाल, मुकेश गुप्ता,
सूर्यप्रकाश मिश्र ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अनेक व्यापारी संगठनों
के प्रतिनिधियों सहित ग्राहक पंचायत के पदाधिकारी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन
हितेश शुक्ल ने किया एवं आभार प्रदर्शन सुधांशु अग्रवाल ने किया।
Kya ye hi wo manmohan sinh hai jise arthshastra ka gyata kaha jata hai...ho sakta hai ki wo jankar ho bhi par pichhale 8 varso me unhone aisa kuchh bhi nahi kiya jisase yeh siddha ho..haa ek baat jarur unhone siddha kar diya...Gandhi parivar ke prati wafadaari...manmohan ji rajneeti me aane se pahle ek bureaucrat the wo kabhi jan neta nahi bane unka rajneeti me pradarpan direct hua...unke isi khas gun arthat wafadari ke karan hua hai...shayad yahi karan hai ki wo pradhanmantri jaise garimamay dayitva ki jimmeadari se jyada wafadari ko ahmiyat dete hain...aaj bhi wo FDI ki baat kar rahe hain uske peechhe bahut saare goodh rahasya hain unme se ek pramukh baat tatkalik short term arthvyavastha me kshadma sudhar dikhega aur logo ko rojgaar bhi milega...lekin long term me yeh ghun ki tarah kaam karega hamari arthvyavastha ke liye....ek arthshastri hone ke naate in sabhi parinamo se wo parichit honge fir bhi wo ise laagu karne ke liye prayasrat hain...is bill se fayeda mukhyatah Videshi companiyo ko aur tatkalik taur par congress ko hoga...aur nuksaan is desh ki saari janta ko uthana padega...galat neetiyon ka parinam hame bhugatana padega...jo hum aaj bhugat bhi rahe hain.
जवाब देंहटाएं