0 छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी का दो दिवसीय प्रवास 0
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव राहुल गांधी का दो दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरा जहां प्रदेश कांग्रेस को स्फूर्ति दे गया, वहीं कई अलग तरह के संदेश भी छोड़ गया। देश को जानने और फिर संगठन में जोश फूंकने के लिए निकले युवा नायक के लिए यह दौरा एक ऐसा प्रसंग था जिसने उन्हें तमाम जमीनी हकीकतों के सामने खड़ा किया। राहुल गांधी के लिए छत्तीसगढ़ का दौरा बेहद भावनात्मक क्षण इसलिए भी था कि उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाकों के प्रति एक खास स्नेह रखते थे। राजीव ने भी अपने शुरूआती दिनों में इन क्षेत्रों का दौरा कर आदिवासी समाज की स्थिति को परखने का प्रयास किया था। जाहिर है राहुल गांधी के लिए यहां के हालात चौंकाने वाले ही थे। आजादी के 60 सालों के बाद आदिवासी जीवन की विषम परिस्थितियां और बस्तर के तमाम क्षेत्रों में हिंसा का अखंड साम्राज्य उन्हें नजर आया।
राहुल गांधी ने इस दौरे में आदिवासी समाज की जद्दोजहद और जिजीविषा के दर्शन तो किए ही अपने संगठन को भी परखा। उन्हें यह बात नागवार गुजरी कि आदिवासी इलाकों में उनके संगठन में आदिवासी समाज का प्रतिनिधित्व उस तरह से नहीं है, जितना होना चाहिए। उन्होंने यह साफ संकेत दिए कि कांग्रेस संगठन के सभी संगठनों में आदिवासी और दलित वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। कांग्रेस के नए नायक को जमीनी हकीकतों का पहले से पता था। शायद इसीलिए वे अपने संगठन की सामाजिक अभियांत्रिकी को दुरूस्त करना चाहते हैं। कांकेर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राहुल ने स्वयं को युवराज कहे जाने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि यह शब्द सामंती समाज का प्रतीक है और एक प्रजातांत्रिक देश में यह शब्द अच्छा नहीं लगता। बस्तर, कांकेर और सरगुजा जिलों के दौरे के बाद राहुल क्या अनुभव लेकर लौटे हैं, इसे जानना अभी शेष है। आने वाले दिनों में जब छत्तीसगढ़ में विधानसभा, फिर लोकसभा के चुनाव होने हैं, तब कांग्रेस संगठन की परीक्षा होनी है। पिछले लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 सीटों में सिर्फ एक ही कांग्रेस के हाथ लगी थी। बाद में राजनांदगांव लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के देवव्रत सिंह ने सीट जीतकर जरूर यह संख्या दो कर दी। बावजूद इसके कभी कांग्रेस के गढ़ रहे छत्तीसगढ़ में इस समय भाजपा की सरकार है। इस गढ़ को तोड़ना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी और उसके मुख्यमंत्री अपनी सरकार की वापसी के लिए आश्वस्त दिखते हैं। यह साधारण नहीं है कि दो वर्षों पूर्व अध्यक्ष बने डा. चरणदास महंत आज तक अपनी राज्य कार्यकारिणी की घोषणा तक नहीं कर सके हैं। कांग्रेस राज्य में टुकड़ों में बंटी है और आपसी खींचतान आसमान पर है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी भले ही अलग-थलग पड़ गए हों पर उनकी ताकत कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में तो सक्षम है ही। दूसरी ओर चरणदास महंत बिना सेना के सेनापति बने हुए हैं। ऐसे में राहुल गांधी के सामने छत्तीसगढ़ के कांग्रेसियों में जोश फूंकने के अलावा उन्हें एकजुट करने की चुनौती भी है। दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की सरकार में आदिवासी, दलित और गरीब तबके को ध्यान में रखकर कई योजनाएं शुरू की हैं, जिसमें तीन रूपए किलो चावल की योजना प्रमुख है। इससे भाजपा इन क्षेत्रों में पुन: अपनी जीत सुनिश्चित मान रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर और सरगुजा क्षेत्रों में भाजपा को व्यापक सफलता मिली थी। इसी को देखते हुए राहुल गांधी ने आदिवासी क्षेत्रों को ही केंद्र में लिया है। वे शहरी इलाकों के बजाय आदिवासी क्षेत्रों पर ही फोकस कर रहे हैं। इससे पार्टी को उम्मीद है कि आदिवासी क्षेत्रों में पुन: कांग्रेस की वापसी संभव हो सकती है और उससे दूर जा चुका आदिवासी वोट बैंक फिर से उनकी झोली में गिर सकता है। राहुल के दौरे को खास तौर से इसी नजरिए से देखा और व्याख्यायित किया जा रहा है।
25 अप्रैल, 2008 को जब वे अपनी भारत खोज यात्रा के तहत अंबिकापुर के दरिमा हवाई अड्डे पर उतरे तो वे लगातार अपनी पूरी यात्रा में इस बात का अहसास कराते रहे कि उनकी निगाह में आदिवासी समाज की कीमत क्या है। अंबिकापुर से विश्रामपुर और सूरजपुर के रास्ते के बीच सड़क किनारे आदिवासियों के हुजूम के बीच उन्होंने जा-जाकर उनकी समस्याएं पूछी। अंबिकापुर और विश्रामपुर के बीच पड़ने वाले लेंगा गांव में एक आदिवासी परिवार के साथ खाना भी खाया। इसी दिन शाम को 6 बजकर दस मिनट पर वे जगदलपुर में थे। अगले दिन जगदलपुर में भी उन्होंने आदिवासी बहुल ग्राम जमावाड़ा में आदिवासियों से घुल-मिलकर चर्चा की। आदिवासी समाज के लोग गांधी परिवार के इस नायक को अपने बीच पाकर भावुक हो उठे। कुल मिलाकर राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा कांग्रेस संगठन में एक नया जोश फूंकने और आदिवासी समाज को एक नया संदेश देने में सफल रहा।
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0 राहुल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद पहली बार वे यहां आए। इससे एक ओर वे जहां राज्य के दलितों, आदिवासियों, तथा पिछड़ेवर्ग के लोगों की समस्याओं को देखा और समङाा। वहीं दूसरी ओर उनकी यात्रा से राज्य के एनएसयूआई एव युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन भी हुआ। जिसका फायदा कांग्रेस पार्टी को आगामी चुनाव में मिलेगा। गांधी परिवार हमेशा से ही आदिवासियों, दलितों एवं पिछडेवर्ग का हिमायती रहा है। राहुल गांधी जिस सादगी के साथ लोगों के बीच में जाकर उनकी समस्याएं सुनते हैं, उसका व्यापक प्रभाव यहां के जनमानस पर पड़ेगा।
-डॉ. चरणदास महंत, अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ कांग्रेस
0 वे जिस लगन के साथ आम जनता के बीच पहुंचे, यह एक बहुत अच्छी बात है। एक युवा नेता होने के नाते इससे उन्हें छत्तीसगढ़ को जानने एवं समङाने का मौका मिला। यह छत्तीसगढ़ की जनता के लिए गौरव का विषय है। यद्यपि इसका सीधे तौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा, लेकिन इससे युवाओं में एक नए उत्साह का संचार हुआ, जिसका लाभ आनेवाले आम चुनाव में पार्टी को मिलेगा।
-विद्याचरण शुक्ल, पूर्व केद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ नेता
0 राहुल गांधी उड़ीसा एवं कर्नाटक की यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ आए। जिसका लाभ यहां की जनता को अवश्य मिलेगा। उनको यहां चल रही योजनाओं की जमीनी हकीकत के साथ यह भी पता चलेगा कि केन्द्र सरकार की योजनाओं का नाम बदल कर किस प्रकार राज्य सरकार इस योजना का पैसा उस योजना में लगा रही है। उनकी इस यात्रा से यहां हो रहे भ्रष्टाचार का मामला खुलकर सामने आया, जिसका लाभ बाद में ही सही लेकिन आम जनता को मिलेगा।
-मोतीलाल वोरा, कोषाध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी
0 राहुल गांधी की यात्रा से हमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की यात्रा याद आई। इससे उनको देश को समङाने एवं करीब से देखने का मौका मिला। यह देश की जनता एवं स्वयं राहुल गांधी दोनों के लिए लाभदायक है, क्योंकि यही जानकारियां बाद में काम आएंगी। उनकी सरगुजा से बस्तर तक की यात्रा काफी महत्वपूर्ण है। आदिवासियों की बस्तियों में जाकर उनकी जानकारी लेना, वह भी राहुल गांधी द्वारा, स्वयं एक बहुत बड़ी बात है। जिसका राजनैतिक दृष्टिकोण से पार्टी को काफी लाभ मिलेगा।
-अरविन्द नेताम, पूर्व केन्द्रीय मंत्री
0 राहुल आदिवासियों के बीच पहुंचे। यह एक बड़ा अवसर है, जब राजीव गांधी के बाद कोई युवा नेता आदिवासियों के इतने करीब पहुंचा। उनकी इस यात्रा से चुनाव के पूर्व एक आपसी सदभावना का जो माहौल बनेगा, नि:संदेह उसका लाभ पार्टी को मिलेगा।
-अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद
0 उनके छत्तीसगढ़ प्रवास से राज्य में चतुर्दिक उत्साह का माहौल व्याप्त है। हमेशा से ही आदिवासियों एवं दलितों व पिछड़ेवर्ग के लोगों को गांधी परिवार का विशेष स्नेह प्राप्त रहा है। उनके प्रवास से यहां के कार्यकर्ताओं में एक नए उत्साह का संचार हुआ है। जिसका फायदा आगामी आम चुनाव में पार्टी को निश्चित रूप से प्राप्त होगा।
-सत्यनारायण शर्मा, पूर्व शिक्षा मंत्री
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