समीक्षक
– डा.शाहिद अली *
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र
मोदी केवल भारत ही नहीं बनिस्बत दुनिया के देशों के लिए एक विमर्श का विषय बन चुके
हैं। भारत की राजनीति में आजादी के बाद श्री नरेन्द्र मोदी पहले नेता बन चुके हैं
जो किसी राजनीति के राजाश्रय से नहीं जन्में हैं किन्तु उनकी ताकतवर छवि और
नेतृत्व किसी अचंभे से कम नहीं है। भारत में अच्छे दिन आने वाले हैं, की खोज के
संकल्प से शुरु प्रधानमंत्री के रुप में श्री नरेन्द्र मोदी का सफर किसी करिश्माई
नेता से कम नहीं है जो दुनिया के लोगों का ध्यान निरंतर अपनी ओर खींचता है। भारतीय
राजनीति के परिदृश्य में ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत का कोई प्रधानमंत्री विदेशों
में बसे भारतीय समुदाय के लिए भी लोकप्रिय श्री नरेन्द्र मोदी अन्तर्राष्ट्रीय जगत
में भारतीयों की स्थिति को सशक्त बनाने में पूरी ताकत से लगे हुए हैं। नोटबंदी और
जी.एस.टी. जैसे क्रांतिकारी आर्थिक सुधारों की दिशा में कदम रखते हुए प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी भारत की नई पहचान का पर्याय बन चुके हैं। डिजीटल इंडिया की
सुनहरी तस्वीर में स्वच्छ भारत के सपने को साकार करने का बीड़ा उठाने वाले राजनेता
श्री नरेंद्र मोदी एक तरफ लोगों की सराहना बटोरते हैं तो दूसरी तरफ मीडिया सहित
विपक्ष की आलोचना का भी सामना करते हैं। इन्हीं चुनौतियां के बीच मोदी युग की जमीन
को देखने का काम लेखक एवं शिक्षाविद श्री संजय द्विवेदी करते हैं।
लगभग दो दशक से भारतीय राजनीति
के टिप्पणीकार श्री संजय द्विवेदी विभिन्न विषयों पर अपनी सधी हुई कलम से समकालीन
मुद्दों को रेखांकित करने का काम कर रहे हैं। श्री द्विवेदी ने मीडिया विमर्श की
मशाल से सच्ची पत्रकारिता की रोशनी में राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने
वाली अनेक घटनाओं पर सही समय और सही रुप
में अनेकों टिप्पणियों से पाठकों को नए चिंतन से जोड़ने का सराहनीय लेखन
किया है। इसी क्रम में वे जन-जन के लोकप्रिय राजनेता श्री नरेन्द्र मोदी के
राजनीतिक कार्यशैली को भी नजदीक से देखते हैं और मोदी युग की ग्रंथावली बिना किसी
पक्षपात के अपने सैंकड़ों पाठकों और प्रशंसकों के सामने रखते हैं। जिसे आज
सर्वाधिक पढा जा रहा है।
मीडिया शिक्षा से जुड़े श्री
द्विवेदी के समक्ष मोदी का व्यक्तित्व, वैचारिक आकाश और उनके राजनीतिक फैसलों का
लोगों पर पड़ने वाला प्रभाव विशेष अभिरुचि बन कर उभरा है। यही कारण है कि श्री
द्विवेदी, मोदी सरकार के कार्यों और उसकी कार्यशैली पर लिखे 63 आलेखों के संकलन से
मोदी युग को कलमबद्ध करने का प्रयास करते हैं। इस कृति में लेखक की मान्यता है कि
लंबे समय बाद भाजपा में अपनी वैचारिक लाईन को लेकर गर्व का बोध दिख रहा है। अरसे
बाद वे भारतीय राजनीति के सेक्युलर संक्रमण से मुक्त होकर अपनी वैचारिक भूमि पर
गरिमा के साथ खड़े हैं।
उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के
दौरान श्री नरेन्द्र मोदी की अग्निपरीक्षा और कैशलेस व्यवस्था पर मोदी युग का
विश्लेषण अति उत्तम है। मोदी ने स्मार्ट सिटी, स्टैंड अप इंडिया, स्टार्ट अप
इंडिया, स्वच्छ भारत, मेक इन इंडिया जैसे नारों से भारत के नव मध्य वर्ग को
आकर्षित किया था किन्तु बिहार और दिल्ली विधानसभा में मिली हार कई सवालों और
आलोचनाओं को जन्म देती है, इसकी पड़ताल भी लेखक बेहद संजीदा होकर करते हैं। वे विपक्ष
को टटोलते हैं कि आखिर क्या वज़हें हैं कि जनता कई बार तकलीफों में होने के बावजूद
मोदी के विरोध पर चुप क्यों हो जाती है। काले धन के खिलाफ आभासी की लड़ाई, जेएनयू
के भारत विरोधी, शहादत और मातम, साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घटनाएँ, सांप्रदायिक
हिंसा के खतरे, उद्योग जगत की चिंताएं, भारत पाक रिश्ते, कश्मीर की घटनाएं इत्यादि
लेखों को गहराई से मोदी युग में पढ़ा जा सकता है।
अक्सर राजनीतिक लेखन में
भावात्मक पक्षधरता हावी होती है। इसका यह नुक़सान होता है कि हम राजनीतिक घटनाओं
की गवेषणा निष्पक्षता से नहीं कर पाते हैं। किन्तु मोदी युग को सामने लाते हुए
लेखक ने स्वयं को भावात्मक पक्षधरता से सर्वथा अलग रखा है। इन कारणों से इस कृति को
देखने का नजरिया पाठकों के लिए भी उसे निष्पक्षता के साथ निर्णय करने में मदद करता
है। लेखक आशावादी हैं। मोदी को जिन आशाओं पर खरा उतरना है उसके लिए सचेत भी करते
हैं। मसलन अरसे बाद मुस्कुराया देश, विश्व मंच पर भारत का परचम, बौद्धिक वर्ग और
मोदी सरकार, मोदी सरकार कितना इंतजार, राष्ट्रवाद, शक्ति को सृजन में लगाएं मोदी जैसे
लेखों की श्रृंखला अहम मसलों पर ध्यान केन्द्रित करती है। यहां लेखन सफल हो जाता
है।
इन दिनों सरकार से ज्यादा
चर्चा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की होती है। संघ के लिए यह बात अहम है कि संघ की
नई सामाजिक अभियांत्रिकी के प्रयोगों में एक स्वयं सेवक नरेन्द्र मोदी देश में
सकारात्मक नेतृत्व देने में वरदान साबित हो रहे हैं। इस मायने में संघ का
मार्गदर्शन स्वयं सेवक के लिए जरुरी है कि वह सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की लंबी साधना
एवं परिश्रम को विफल न होने दे। लेखक ने आरएसएस के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत की
सलाह का हवाला भी इन लेखों में दिया है साथ ही संघ परिवार के रणनीतिकारों सर्वश्री
भैयाजी जोशी, सुरेश सोनी, दत्तात्रेय होसबोले, डा.कृष्ण गोपाल, मनमोहन वैद्य एवं
राम माधव के विविध दायित्वों पर भी प्रकाश डाला है।
लालकृष्ण आडवाणी से लेकर
समकालीन राजनेताओं और नए राजनीतिक परिदृश्य में उभरते युवा नेतृत्व में मोदी के
रिश्ते और गर्माहट का अहसास भी इस मोदी युग की कृति में होता है। आखिर मोदी होने
का क्या मतलब है यह पुस्तक का प्रमुख आकर्षण है। लेखक की यह मान्यता है कि मोदी की भाषण कला, भाजपा का
विशाल संगठन, कांग्रेस सरकार की विफलताएं और भ्रष्टाचार की कथाएँ मिलकर मोदी को
महानायक के शीर्ष पर लाती हैं। कुल मिलाकर लेखक श्री संजय द्विवेदी का मोदी युग का
249 पृष्ठीय दस्तावेज अद्वितीय लेखन का प्रकाशपुंज है। मोदी युग की इस कृति में देश
के प्रख्यात टीकाकारों, पत्रकारों, मीडिया शिक्षकों सर्वश्री विजय बहादुर सिंह,
अकु श्रीवास्तव, आशीष जोशी, इंदिरा दागी, डा.वर्तिका नंदा, तहसीन मुनव्वर और सईद
अंसारी की सटीक टिप्पणियां भी हैं। लोकप्रिय राजनेता श्री नरेन्द्र मोदी के
ऐतिहासिक छायाचित्रों से युक्त यह पुस्तक विद्यार्थियों, शिक्षकों, राजनीति और
समाज सेवा से जुड़े सभी वर्गों के लिए पठनीय तथा संग्रहणीय है।
पुस्तक:
मोदी युग, लेखक: संजय द्विवेदी
प्रकाशकः
पहले पहल प्रकाशन , 25 ए, प्रेस काम्पलेक्स, एम.पी. नगर,
भोपाल (म.प्र.)
462011, मूल्य: 200 रूपए,
पृष्ठ-250
समीक्षकः *एसोसिएट प्रोफेसर, जनसंचार
विभाग
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं
जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)
E-Mail
: drshahidktujm@gmail.com
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