tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post7382836436673304993..comments2023-07-20T02:08:55.823-07:00Comments on संजय उवाच: वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता के खतरेProf. Sanjay Dwivedihttp://www.blogger.com/profile/09552910632128229763noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-1642886444516158272011-02-17T06:51:52.903-08:002011-02-17T06:51:52.903-08:00प्रिया जी की बात से पूरी तरह असहमत नहीं हुआ जा सकत...प्रिया जी की बात से पूरी तरह असहमत नहीं हुआ जा सकता.वैश्यावृति अनादी काल से चली आ रही है.और स्त्री के इस शोषण के लिए जिम्मेदार है हमारा समाज..इस को पूरी तरह समाप्त करने की सोचना एक दिवास्वप्न है..जब इसको हम समाप्त नहीं कर सकते, तो कम से कम कानून के द्वारा उनका शोषण कुछ हद तक कम कर सकते हैं और उनके अंदर भी एक सुरक्षा की भावना तो पैदा कर ही सकते है.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-75419677133931042092011-02-17T03:11:03.671-08:002011-02-17T03:11:03.671-08:00प्रिया जी का कहना ठीक उसी तरह है जैसे पिछले दिनो स...प्रिया जी का कहना ठीक उसी तरह है जैसे पिछले दिनो सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार को कानूनी मान्यता दे देने की बात कही थी। यह एक दर्द है जो गाहे-बगाहे इस रुप में सामने आती है। हमें समस्या के मूल में जाने की जरूररत है और मूल है पुरूषवादी मानसिकता जो आधुनिक समाज में बढ़ी ही है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04013603676470386266noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-87028385275356705652011-02-16T21:48:43.710-08:002011-02-16T21:48:43.710-08:00स्त्री की गरिमा की बात से कौन इंकार कर सकता है ल...स्त्री की गरिमा की बात से कौन इंकार कर सकता है लेकिन जहां तक मेरा सोचना है प्रिया दत्त की भावनाओं के पीछे के मर्म को समझना चाहिए। जहां तक मैं समझता हूं प्रिया दत्त कतई यह नहीं चाहती होंगी कि वेश्यावृत्ति के कारोबार में जबरन ढकेली जाने की घटनाएं बढें, लेकिन जो भी महिलाएं इस कारोबार में हैं उन्हें संरक्षण मिलना चाहिए। <br />क्या देश में इस प्रकार की गलियां नहीं हैं जहां ऐसे कारोबार होते हैं, उस हालात में भीजब देश में इसे मान्यता (कानूनी) प्राप्त नहीं हैं। कलकत्ता का बाजार तो पूरे विश्व में प्रसिध्द है। मुंबई में भी है। नागपुर में है। उज्जैन में है। और भी कई शहरों में हैं। क्या ये कारोबार बंद हो गए। बंद नहीं हुए लेकिन पुलिस और प्रशासन के लोग समय समय पर 'मेहनताना' लेने ऐसे स्थानों पर पहुंच ही जाते हैं और कारोबार जारी रहता है।<br />क्या देश में बलात्कार की घटनाएं नहीं होतीं। हर दिन किसी न किसी शहर में स्त्री बलात्कार का शिकार होती है। कहीं कहीं बलात्कार के बाद हत्या भी। <br />बावजूद इसके आपकी चिंता जायज है।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.com