tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post5620576435767582687..comments2023-07-20T02:08:55.823-07:00Comments on संजय उवाच: यह बेदिल दिल्ली का लोकतंत्र है देख लीजिए !Prof. Sanjay Dwivedihttp://www.blogger.com/profile/09552910632128229763noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-3242971126842515272011-06-06T09:05:26.888-07:002011-06-06T09:05:26.888-07:00केंद्र की सरकार को यह समझना होगा कि चाहे-अनचाहे उस...केंद्र की सरकार को यह समझना होगा कि चाहे-अनचाहे उसने अपना चेहरा ऐसा बना लिया है जैसे वह भ्रष्टाचार की सबसे बड़ी संरक्षक हो। क्योंकि एक शांतिपूर्ण प्रतिरोध को भी अगर हमारी सत्ताएं नहीं सह पा रही हैं तो सवाल यह भी उठता क्या उन्हें हिंसा की ही भाषा समझ में आती है ? दिल्ली में अलीशाह गिलानी और अरूँधती राय जैसी देशतोड़क ताकतों के भारतविरोधी बयानों पर जिस दिल्ली पुलिस और गृहमंत्रालय के हाथ एक मामला दर्ज करने में कांपते हों, जो अफजल गुरू की फांसी की फाईलों को महीनों दबाकर रखती हो और आतंकियों व अतिवादियों से हर तरह के समझौतों को आतुर हो, यहां तक कि वह देशतोड़क नक्सलियों से भी संवाद को तैयार हो- वही सरकार एक अहिंसक समूह के प्रति कितना बर्बर व्यवहार करती है।<br />jai baba banaras.....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07499570337873604719noreply@blogger.com