tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post3986581160755481046..comments2023-07-20T02:08:55.823-07:00Comments on संजय उवाच: हम भ्रष्टन के, भ्रष्ट हमारे !!!Prof. Sanjay Dwivedihttp://www.blogger.com/profile/09552910632128229763noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-10678895228444805132010-11-16T07:03:13.804-08:002010-11-16T07:03:13.804-08:00भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ़ रहा है, ये शिद्दत से महसूस...भ्रष्टाचार तेज़ी से बढ़ रहा है, ये शिद्दत से महसूस किए जाने की ज़रूरत है। सियासत और ब्यूरोक्रेसी बुरी तरह इसकी गिरफ़्त में है। आपने दुरुस्त कहा, कहीं भ्रष्टाचार शिष्टाचार न बन जाए। राजनीतिक पार्टियों से बहुत ज़्यादा उम्मीद बेमानी होगी, वजहें आप लेख में बता चुके हैं। जिस तेज़ी से भ्रष्टाचार को सींचा जा रहा है, आने वाले वक़्त में भारत का क्या होगा, सोचकर डर लगता है। क्या हम अब भी संभलने के लिए तैयार हैं? <br /><br />बेहद ख़ूबसूरत लेख।।निशांत बिसेनhttps://www.blogger.com/profile/03874894101468026058noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-69727737171041480272010-11-12T13:15:59.109-08:002010-11-12T13:15:59.109-08:00सर भारतीय जनता का स्मृति दोष ही सब गड़बड़ करवा रहा...सर भारतीय जनता का स्मृति दोष ही सब गड़बड़ करवा रहा है... ६० सालों में कांग्रेस ने इस देश का खूब बंटाधार किया है.... <br />आपने सार्थक चिंता जाहिर की है....लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6865998346481992096.post-84440303993906165942010-11-08T03:52:01.008-08:002010-11-08T03:52:01.008-08:00संजय जी बहुत ही सार्थक लेख और चुभते सवाल हैं आपक...संजय जी बहुत ही सार्थक लेख और चुभते सवाल हैं आपके , भ्रष्टाचार इन दिनों शिष्टाचार हो चुका है राजनीती के गलियारों में ये पनपता है और पूरे देश में अपनी जड़े फ़ैलाता जा रहा है ये वो दीमक है जो देश को खोखला करती जा रही है शर्मनाक बात ये है की फिर भी हम अपने किये पर शर्मसार नहीं है कैसे कैसे मंजर नजर आने लगे हैं गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं अब तो इस तालाब का पानी बदलो यारों इसके कमल अब मुरझाने लगे हैं -mamta vyasmamta vyasnoreply@blogger.com