मंगलवार, 7 जून 2011

कांग्रेस नहीं संभली तो चलता रहेगा ‘बाबा लाइव’


-संजय द्विवेदी

दिल्ली में जो कुछ घटा उसने सही मायने में बाबा रामदेव को जीवनदान दे दिया है। वरना बालकृष्ण का पत्र लीक करके चतुर वकील कपिल सिब्बल ने तो बाबा के सत्याग्रह की हवा ही निकाल दी थी। किंतु कहते हैं ज्यादा चालाकियां कभी-कभी भारी पड़ जाती हैं। अपनी देहभाषा और शैली से ही कपिल सिब्बल बहुत कुछ कहते नजर आते हैं। उनके सामने हरियाणा के एक गांव से आए बाबा रामदेव और बालकृष्ण की क्या बिसात। कांग्रेस जरा सा धीरज रखती तो बाबा का मजमा तो उजड़ ही चुका था। किंतु इसे विनाशकाले विपरीत बुद्धि ही कहा जाएगा कि बाबा के उजड़ते मजमे को कांग्रेस ने बाबा लाइव में बदल दिया। सरकार नहीं बाबा टीआरपी देते हैं, इसलिए टीवी चैनलों पर तमाम दबावों और मैनेजरों की कवायद के बाद भी पांच दिनों से बाबा लाइव जारी है। रविवार को बाबा ने एक दिन में तीन प्रेस कांफ्रेस की। हिंदुस्तान जैसे विशाल देश में ऐसे अवसर कितनों को मिलते हैं। इस अकेले आंदोलन में बाबा जितने घंटें हिंदुस्तानी टीवी न्यूज चैनलों पर छाए रहे, वह अपने आप में मिसाल है।

राजू, राखी और रामदेव वैसे भी टीवी चैनलों को बहुत भाते हैं, किंतु यह अवसर तो सरकार ने बाबा को परोसकर दिया। बाबा दिल्ली आए तो चार मंत्री अगवानी में। संवाद का हाईबोल्टेज ड्रामा। मुद्दे जो भी हों पर विजुवल तो गजब हैं। बाबा के भगवा वस्त्र और उनकी भंगिमाएं, संवाद शैली सारा कुछ फुल टीवी मामला है। सामने भी वाचाल और चतुर सुजान कपिल सिब्बल यानि सुपरहिट मुकाबला। रही सही कमी दिग्विजय सिंह के रचितबाबा गुणानुवाद ने पूरी कर दी। यानि टीवी के यहां पूरा मसाला था। बाइट और क्रास बाइट के ऐसे संयोग कहां बनते हैं। बाबा लाइव की यह कथा इसीलिए मीडिया को भाती है। बाबा के पास भी एक अच्छी संवाद शैली के साथ फुल ड्रामा मौजूद है। पुलिसिया बर्बरता के समय भी बाबा खबर देते हैं। वे मंच पर कूद आ जाते हैं और फिर जनता के बीच कूद जाते हैं। पुलिसिया लाठियों और आंसू गैस के गोलों के वहशी आयोजन भी बाबा को रोक नहीं पाते। वे महिलाओं के बीच छिपकर एक और ड्रामा खड़ा कर देते हैं। यह लीला गजब है। वे महिलाओं का वेश धारण कर लेते हैं। यहां भी एक लाइव लीला। कांग्रेसियों को बाबा से मीडिया का इस्तेमाल सीखना चाहिए। किंतु कांग्रेसजनों की हरकतें और बदजुबानी बाबा के लिए सहानुभूति ही बढ़ा रही है। दिग्विजय सिंह जैसे प्रचारक बाबा को मुफ्त में ही पब्लिसिटी दे रहे हैं। बाबा को पता है कि वे भारत सरकार से मुकाबला नहीं कर सकते किंतु कांग्रेस ने उन्हें अपने कर्मों से भाजपा के पाले में फेंक दिया। यह साधारण नहीं था कि अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की लखनऊ बैठक से लौटे भाजपा के शिखर नेतृत्व को सडकों पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। भाजपा का पूरा शिखर नेतृत्व बाबा के समर्थन में उतर आया। जबकि बाबा ने जैसी लीला रची थी और राजनीतिक दलों से दूरी बनाए रखी थी उसमें भाजपा को बाबा के मंच पर मौका नहीं था। अब बाबा को पूरी तरह से भाजपा ने हाईजैक कर लिया है। बाबा चाहकर भी भाजपा से अलग कैसे दिखें, वे कैसे कह सकते हैं कि आप मेरे समर्थन में न उतरें। कांग्रेस के पास अपनी कारगुजारियों का ले-देकर एक ही जवाब है कि बाबा के पीछे आरएसएस है। क्या किसी आंदोलन के पीछे आरएसएस है तो उसका इस तरह से दमन होगा? क्या हम एक लोकतंत्र में रह रहे हैं या राजतंत्र में? आरएसएस इतनी बुरी है तो उस पर प्रतिबंध लगाइए पर निर्दोंषो पर दमन मत कीजिए। अपने पाप को आरएसएस की आड़ लेकर जायज मत ठहराइए।

बाबा ने आखिरी समय तक अपने भक्तों से कहा कि संयम रखें। किंतु आप पंडाल में आंसू गैस छोड़ रहे हैं। जबकि आंसू गैस का इस्तेमाल खुले स्थान में ही होना चाहिए। बाबा की खोज में आपकी पुलिस पंडाल में आग लगा देती है। यह कहां की मानवता है? रात में एक बजे देश के तमाम इलाकों से आए लोगों को आप उस दिल्ली में छोड़ देते हैं जहां महिलाओं के साथ बलात्कार की खबरें अक्सर चैनलों पर दिखती हैं। बाबा के शिविर से निकाली गयीं महिलाएं, बच्चे और बुर्जुग आखिर अँधेरी रात में कहां जाते? उनमें तमाम ऐसे भी रहे होंगें जो पहली बार दिल्ली आए होंगें। क्या यह अपने देशवासियों के साथ किया जा रहा व्यवहार है? अमरीका को अपना माई-बाप समझने वालों को अमरीका से अपने नागरिकों का सम्मान करने की तमीज भी सीखनी चाहिए। यह युद्ध आप किसके खिलाफ लड़ रहे हैं? इसे जीतकर भी आपको हासिल क्या है? बाबा रामदेव एक ठग या व्यापारी जो भी हों, निर्दोष भारतीयों को आधी रात तबाह करने के पाप से कांग्रेस नेतृत्व मुक्त नहीं हो सकता। लोकतंत्र सालों के संघर्ष से अर्जित हुआ है। उसे तोड़ने में लगी ताकतों के साथ कांग्रेसियों की गलबहियां साफ दिखती है। दिल्ली में अली शाह गिलानी और अरूंधती राय जहर उगलकर चले जाते हैं, हमारा गृहमंत्रालय और यह बहादुर दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ एक मुकदमा नहीं दर्ज कर पाती। अफजल गुरू की फाइल दिल्ली प्रदेश की इसी महान सरकार ने महीनों दबाकर रखी। नक्सलियों से लेकर देश को तोड़ने के प्रयासों में लगे हर हिंसक समूह से सरकार वार्ता के लिए आतुर है। किंतु सारी बहादुरी देश के उन नागरिकों पर ही दिखाई जाती है जो शांति से, संवाद से अपनी बात कहना चाहते हैं।

उप्र के भट्टा पारसौल में प्रकट होने वाले कांग्रेस के युवराज कहां है? उस दिन मायावती की पुलिसिया कार्रवाई पर वे भारतीय होने में शर्म महसूस कर रहे थे, दिल्ली में उनके कारिंदों ने जो किया है, उस पर गरीबों के नेता की प्रतिक्रिया क्यों नहीं आ रही है ? कांग्रेस का नारा है कांग्रेस का हाथ गरीबों के साथ, किंतु बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और पुलिस दमन के रिकार्ड देखें तो यह हाथ गरीबों के गले पर नजर आता है। जिस देश की राष्ट्रपति, यूपीए चेयरपर्सन, लोकसभा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष जैसे पदों पर महिलाएं बैठी हों, उस राजधानी में महिलाओं पर जो अत्याचार हो रहा है उसे आप जायज कैसे ठहरा सकते हैं?

देश की इतनी दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर अफसोस जताने के बजाए कांग्रेस नेताओं ने जख्मों पर नमक छिड़कने का काम ही किया है। इस पूरे मामले में बाबा रामदेव का मजमा उजाड़कर कांग्रेस स्वयं को भले ही महावीर समझे किंतु यह दृश्य पूरे देश ने देखा है। कालेधन और लोकपाल की बहस अब देश के हर चौराहे और हर गांव में हो रही है। दिल्ली का सच अब लोगों तक पहुंच रहा है। सबसे खतरनाक है इस राय का कायम हो जाना कि कांग्रेस भ्रष्टाचारियों का साथ दे रही है और उसका विरोध कर रहे लोगों का उत्पीड़न। कांग्रेस अब बाबा और अन्ना हजारे की सिविल सोसाइटी पर हमले कर अपना ही नुकसान करेगी। क्योंकि सत्ता बाबा का सबसे बड़ा नुकसान जो कर सकती थी कर चुकी है। क्योंकि बाबा और अन्ना हजारे के पास आखिर खोने के लिए क्या है? एक गांव से आए व्यक्ति ने अपने योग ज्ञान के बल जो हासिल किया, हिंदुस्तान जैसे विशाल देश में जो जगह बनाई वह साधारण नहीं है। सत्ता अब बाबा का क्या छीन सकती है? बाबा ने इस बहाने अपनी साधारण क्षमताओं से जो पा लिया उसके लिए हमारे बड़े नेता भी तरसते हैं। बाबा के संस्थानों और उनके काम को लेकर आप जो भी दमनचक्र चलाएंगें वह बात अब सत्ता के खिलाफ ही जाएगी। इसलिए बेहतर होगा कि कांग्रेस इस समय को पहचाने और ऐसा कुछ न करे जिससे वह जनता की नजरों से और गिरे। कांग्रेस के रणनीतिकार अगर ऐसी ही भूलें करते रहे तो मीडिया पर बाबा लाइव जारी रहेगा और वह जनता की नजरों से बहुत गिर जाएगी। हालांकि नेताओं को इस बात की आश्वस्ति होती है कि जनता की स्मृति बहुत कम है, किंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए अगर जनता राय बना लेती है तो वह राय नहीं बदलती। इसलिए कांग्रेस को अब संभलकर चलने और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े संदेश देने की जरूरत है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. @दिल्ली में अली शाह गिलानी और अरूंधती राय जहर उगलकर चले जाते हैं, हमारा गृहमंत्रालय और यह बहादुर दिल्ली पुलिस उनके खिलाफ एक मुकदमा नहीं दर्ज कर पाती। अफजल गुरू की फाइल दिल्ली प्रदेश की इसी महान सरकार ने महीनों दबाकर रखी। नक्सलियों से लेकर देश को तोड़ने के प्रयासों में लगे हर हिंसक समूह से सरकार वार्ता के लिए आतुर है



    इस झन्नाटेदार (कांग्रेस का हाथ) वाले लेख के लिए बधाई स्वीकार करें.
    वैसे ये सत्य है की लगने वाले को बात लग जाती है और मोती बुद्दी वालों को लात भी नहीं लगती.

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  2. घबराने की अब बाबा को भी ज्यादा जरूरत नहीं है। अगले लोकसभा चुनाव आने दीजिये। ये जनता वोट देकर बताएगी की इस देश में राज इन जैसे सत्ता के दलालों का है या जनता का। वैसे भी इस तरह की घटना से कांग्रेस बाबा को उनकी जगह से हिला सकती है उनके विचारों से नहीं। उनके विचार परिवर्तन की एक नई लहर को जन्म जरूर देंगे।

    विनीत
    अंकुर विजय

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