शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

जब मोबाइल जिंदगी बन जाए


रेडिएशन के खतरों के बावजूद मोबाइल पर बरस रहा है लोगों का प्यार

-संजय द्विवेदी

यह दौर दरअसल मोबाइल क्रांति का समय है। इसने सूचनाओं और संवेदनाओं दोनों को कानों-कान कर दिया है। अब इसके चलते हमारे कान, मुंह, उंगलियां और दिल सब निशाने पर हैं। मुश्किलें इतनी बतायी जा रही हैं कि मोबाइल डराने लगे हैं। कई का अनुभव है कि मोबाइल बंद होते हैं तो सूकून देते हैं पर क्या हम उन्हें छोड़ पाएगें? मोबाइल फोनों ने किस तरह जिंदगी में जगह बनाई है, वह देखना एक अद्भुत अनुभव है। कैसे कोई चीज जिंदगी की जरूरत बन जाती है- वह मोबाइल के बढ़ते प्रयोगों को देखकर लगता है। वह हमारे होने-जीने में सहायक बन गया है। पुराने लोग बता सकते हैं कि मोबाइल के बिना जिंदगी कैसी रही होगी। आज यही मोबाइल खतरेजान हो गया है। पर क्या मोबाइल के बिना जिंदगी संभव है ? जाहिर है जो इसके इस्तेमाल के आदी हो गए हैं, उनके लिए यह एक बड़ा फैसला होगा। मोबाइल ने एक पूरी पीढ़ी की आदतों उसके जिंदगी के तरीके को प्रभावित किया है।

विकिरण के खतरों के बाद भीः

सरकार की उच्चस्तरीय कमेटी ने जो रिपोर्ट सौंपी है वह बताती है कि मोबाइल कितने बड़े खतरे में बदल गया है। वह किस तरह अपने विकिरण से लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल रहा है। रेडियेशन के प्रभावों के चलते आदमी की जिंदगी में कई तरह की बीमारियां घर बना रही हैं, वह इससे जूझने के लिए विवश है। इस समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि रेडियेशन संबंधी नियमों भारतीय जरूरतों के मुताबिक नियमों में बदलाव की जरूरत है। जाहिर तौर पर यह एक ऐसा विषय पर जिस पर व्यापक विमर्श जरूरी है। मोबाइल के प्रयोगों को रोका तो नहीं जा सकता हां ,कम जरूर किया जा किया जा सकता है। इसके लिए ऐसी तकनीकों का उपयोग हो जो कारगर हों और रेडियेशन के खतरों को कम करती हों। आज शहरों ही नहीं गांव-गांव तक मोबाइल के फोन हैं और खतरे की घंटी बजा रहे हैं। लोगों की जिंदगी में इसकी एक अनिर्वाय जगह बन चुकी है। इसके चलते लैंडलाइन फोन का उपयोग कम होता जा रहा है और उनकी जगह मोबाइल फोन ले रहे हैं।

फैशन और जरूरतः

ये फोन आज जरूरत हैं और फैशन भी। नयी पीढ़ी तो अपना सारा संवाद इसी पर कर रही है, उसके होने- जीने और अपनी कहने-सुनने का यही माध्यम है। इसके अलावा नए मोबाइल फोन अनेक सुविधाओं से लैस हैं। वे एक अलग तरह से काम कर रहे हैं और नई पीढी को आकर्षित करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते। ऐसे में सूचना और संवाद की यह नयी दुनिया मोबाइल फोन ही रच रहे हैं। आज वे संवाद के सबसे सुलभ, सस्ते और उपयोगी साधन साबित हो चुके हैं। मोबाइल फोन जहां खुद में रेडियो, टीवी और सोशल साइट्स के साथ हैं वहीं वे तमाम गेम्स भी साथ रखते हैं। वे दरअसल आपके एकांत के साथी बन चुके हैं। वे एक ऐसा हमसफर बन रहे हैं जो आपके एकांत को भर रहे हैं चुपचाप। मोबाइल एक सामाजिकता भी है और मनोविज्ञान भी। वह बताता है कि आप इस भीड़ में अकेले नहीं हैं। वह बेसिक फोन से बहुत आगे निकल चुका है। वह परंपरा के साथ नहीं है, वह एक उत्तरआधुनिक संवाद का यंत्र है। उसके अपने बुरे और अच्छेपन के बावजूद वह हमें बांधता है और बताता है कि इसके बिना जिंदगी कितनी बेमानी हो जाएगी।

नित नए अवतारः

मोबाइल नित नए अवतार ले रहा है। वह खुद को निरंतर अपडेट कर रहा है। वह आज एक डिजीटल डायरी, कंप्यूटर है, लैपटाप है, कलकुलेटर है, वह घड़ी भी है और अलार्म भी और भी न जाने क्या- क्या। उसने आपको, एक यंत्र में अनेक यंत्रों से लैस कर दिया है। वह एक अपने आप में एक पूरी दुनिया है जिसके होने के बाद आप शायद कुछ और न चाहें। इस मोबाइल ने एक पूरी की पूरी जीवन शैली और भाषा भी विकसित की है। उसने मैसजिंग के टेक्ट्स्ट को एक नए पाठ में बदल दिया है। यह आपको फेसबुक से जोड़ता और ट्विटर से भी। संवाद ऐसा कि एक पंक्ति का विचार यहां हाहाकार में बदल सकता है। उसने विचारों को कुछ शब्दों और पंक्तियों में बाँधने का अभ्यास दिया है। नए दोस्त दिए हैं और विचारों को नए तरीके से देखने का अभ्यास दिया है। उसने मोबाइल मैसेज को एक नए पाठ में बदल दिया है। वे संदेश अब सुबह, दोपहर शाम कभी आकर खड़े हो जाते हैं और आपसे कुछ कहकर जाते हैं। इस पर प्यार से लेकर व्यापार सब पल रहा है। ऐसे में इस मोबाइल के प्रयोगों से छुटकारा तो नामुमकिन है और इसका विकल्प यही है कि हम ऐसी तकनीको से बने फोन अपनाएं जिनमें रेडियेशन का खतरा कम हो। हालांकि इससे मोबाइल कंपनियों को एक नया बाजार मिलेगा और अंततः लोग अपना फोन बदलने के लिए मजबूर होंगें। किंतु खतरा बड़ा है इसके लिए हमें समाधान और बचत के रास्ते तो तलाशने ही होंगें। क्योंकि मोबाइल के बिना अब जिंदगी बहुत सूनी हो जाएगी। इसलिए मोबाइल से जुड़े खतरों को कम करने के लिए हमें राहें तलाशनी होगीं। क्योंकि चेतावनियों को न सुनना खतरे को और बढ़ाएगा।

2 टिप्‍पणियां:

  1. abhi haal hi me yek dukhad ghatna hue..mere friend ki sister apne yek boy friend ke saath ghumne nikli thi..wo uasase shadi karna nahi chahti thi .lekin usne thodi door aage jane ke baad usko shadi nahi karne par maar jane ka emotional blackmail kiya ..aur wo taiyaar ho gayi aur wo use lekar bsp se kari 350 km door yek goan me legaya..aur waha pahuchne ke baad usne waha se ghar me phone karwaya ki mai univercity se aate time raasta bhatak gayi hu.hum logo ne netwark ki madat se ye pata laga liya ki we kis gaon me hai aur bsp se kitni door hai .aur raat 3 baje unhe khoj nikal liye..ye bina mobile ke sambhav nahi tha..

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