गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011
मैं एक मजदूर हूं। जिस दिन कुछ लिख न लूं, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं। -प्रेमचंद
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sanjay dwivedi
प्रो.संजय द्विवेदी, देश के जाने-माने पत्रकार, संपादक, लेखक, संस्कृतिकर्मी और मीडिया गुरु हैं। दैनिक भास्कर, हरिभूमि, नवभारत, स्वदेश, इंफो इंडिया डाटकाम और छत्तीसगढ़ के पहले सेटलाइट चैनल जी 24 घंटे छत्तीसगढ़ जैसे मीडिया संगठनों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाली। माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में 10 वर्ष मासकम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति और रजिस्ट्रार रहे। संप्रति भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली (आईआईएमसी) के महानिदेशक हैं। 'मीडिया विमर्श' पत्रिका के सलाहकार संपादक। राजनीतिक, सामाजिक और मीडिया के मुद्दों पर निरंतर लेखन। अब तक 32 पुस्तकों का लेखन और संपादन। अनेक संगठनों द्वारा मीडिया क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित।
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यह उद्बोध देकर आपने बहुत अच्छा किया संजय जी! यह मेरे जैसे लोगों पर बहुत सटीक बैठता है, और अपनी मजदूरी(कर्म) के प्रति सचेत करता रहता है! धन्यवाद आपको !
जवाब देंहटाएंसंजय सर बहुत ही सुन्दर बात लिखी है। हमारा कर्म लिखना है, उसी से हमारी रोजी-रोटी चलती है। हमें अपने दायित्व का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए।
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