गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

राखी, मीडिया और स्वयंवर

राखी सावंत पर एक बार फिर मीडिया फिदा है। वे फिदा करना जानती भी हैं। अब वे एक टीवी चैनल पर शादी रचाने जा रही हैं। राखी फिर खबर बन गई हैं। मीका प्रकरण से आगे बढ़कर प्रेमी को कैमरों के सामने थप्पड़ मारती और उसे अपने पैरों पर नाक रगड़वाती राखी, नृत्य प्रतियोगिता में धमाल मचाती राखी, बिग बास के घर में कभी नाचती कभी रूठती राखी अब फिर एक नए अवतार में हैं। चौदह एपीसोड के इस शो में राखी जीतने वाले से शादी कर लेगीं। जाहिर तौर यह सनसनी वही कर सकती हैं। उन्हें अपनी सीमित क्षमताओं के बावजूद बाजार के मंत्र और उनका इस्तेमाल करना आ गया है। कलंक जब पब्लिसिटी के काम आने लगें तो उदाहरण आम हो जाते हैं।
राखी- मीका चुम्बन प्रसंग की याद करें तो इस प्रकरण पर समाचारों, क्लीपिंग्स के साथ-साथ चैनलों पर छिड़े विमर्शों को देखना एक अलग अनुभव था। शायद यही नए मीडिया की पदावली है और उसका लोकप्रिय विमर्श भी। चुम्बन से चमत्कृत मीडिया के लिए आडटम गर्ल रातोरात स्टार बन जाती हैं। राखी हर चैनल पर मौजूद थीं, अपने मौजूं किंतु शहीदाना स्त्री विमर्श के साथ। यही वह क्षण है जिसने राखी को भारतीय मनोरंजन जगत ही नहीं मीडिया का भी एक अनिवार्य चेहरा बना दिया। वे चुम्बन का एक ऐसा शिकार थीं जो अपनी जंग को नैतिकता का जामा पहना रहा था और खासकर दृश्य मीडिया राखी के दुख में आंसू टपका रहा था। ऐसे प्रसंगों पर तो 24 घंटे के समाचार चैनलों की पौ बारह हो ही जाती है।
आत्मविश्वास से भरी राखी, कभी भावुक, कभी रौद्र रूप लेती राखी का स्त्री विमर्श अदभुत है। चैनलों पर विचारकों के पैनल थे, जनता थी जो हर बात पर ताली बजाने में सिद्धहस्त है। बहस सरगर्म है। इसे लंबा और लंबा खींचने की होड़ जारी रहती है। शायद ऐसे ही दृश्य राखी के स्वयंवर पर भी नजर आएं। इस आयोजन की घोषणा होते ही मीडिया ने राखी के स्वयंवर को लेकर काफी चिंता जताई है और उनके लंबे इंटरव्यू प्रसारित किए हैं। जाहिर तौर पर राखी मीडिया का ऐसा चेहरा बन गयी हैं जो साहसी है और जिसे खुद की मार्केटिंग आती है। राखी-मीका चुम्बन प्रकरण को भी प्रचार पाने का हथकंड़ा बताया गया था। अब स्वयंवर भी उसी परंपरा का विस्तार सरीखा ही है। भारतीय समाज में शादी जैसे प्रसंग पहली बार इस तरह से प्रस्तुत हो रहे हैं। इसके चलते भारतीय समाज का भौंचक होकर इसे देखना लाजिमी है। टीआरपी और बाजार की नजर से भी प्रथम दृष्ट्या यह बिकनेवाला मसाला है। राखी इस कार्यक्रम के प्रोमो में जिस तरह के वक्तव्य दे रही हैं वह भी अद्बभुत हैं। राखी मीडिया के एक लिए चेहरा भर नहीं है वे एक मार्केट उपलब्ध कराती हैं। वे किसी भी आयोजन को अपने तौर-तरीकों और वक्रता से एक पापुलर विमर्श में बदल देती हैं। लड़ती-झगड़ती राखी को सच में कैमरों से प्यार है और कैमरा भी उन्हें इतना ही प्यार करता है। गणपति की पूजा से लेकर वेलेंटाइन डे हर पर्व पर वे मीडिया को मसाला दे सकती हैं। इसलिए यह प्यार गहरा होता जा रहा है और यही उन्हें नायाब बनाता है। वे जो चाहती हैं कहती हैं और अपेक्षित साहस का प्रमाण भी देती हैं। वे एक ऐसी लड़की हैं जो किसी फिल्मी खानदान से इस मायावी दुनिया में नहीं आयी हैं, ना ही वे अंग्रजी माध्यम के स्कूलों की उपज हैं, उनके पास अच्छे अभिनय का भी हुनर नहीं हैं, जाहिर तौर पर उनका संघर्ष बड़ा है। वे अगर इस तरह न होतीं तो आज राखी का नाम हमारी जुबां पर न होता। वे चाहकर भी अपने इस रूप को छोड़ नहीं सकतीं क्योंकि इसी ने उन्हें स्पर्धा में सबसे आगे कर दिया है। वे मूलतः एक डांसर हैं। किंतु उन्होंने अपनी सीमित क्षमताओं को ही अपनी ताकत बना लिया है। वे विवाद रचती हैं कैमरे उन्हें विस्तार देते हैं। यह कहना कठिन है कौन किसका इस्तेमाल कर रहा है। मीडिया और राखी मिलकर जो संसार रचते हैं उससे दोनों की रोजी चलती है। समाज की दोहरी मानसिकता का मीडिया और फिल्म माध्यम इस्तेमाल करते आ रहे हैं और करते रहेंगें। शायद हमारी इसी सोच के मद्देनजर कभी पामेला बोर्डस ने कहा था –यह समाज अभी भी मिट्टी- गारे से बनी झोपड़ी में रहता है। चुम्बन प्रकरण से लेकर आन स्क्रीन स्वयंवर तक का राखी का सफर हमारे समाज और मीडिया दोनों के द्वंद का बयान करता है। तो आइए हम सब राखी के स्वयंवर उत्सव में शामिल हों और उनके साहस पर ताली बजाएं।

1 टिप्पणी:

  1. राखी प्रकरण पर आपकी पैनी नज़र ने एक नई नज़र और इज़ाद की है...काबिल-ए-तारीफ़ पेशकश है...सर...सचमें मीडिया आज की बोगस पीढ़ी को ज़रा में हाइट देने में अपनी खासी भूमिका निभा रहा है...शायद अभी भारत के भीतर दृश्य माध्यम अपनी 18 साल की वयस्क हो चुकी ज़िंदग़ी को स्वीकार नहीं पा रहा है...अभी भी अपने शैशवकाल से बाहर चाह कर भी नहीं निकल पा रहा...या फिर नहीं निकलना चाहता...हालांकि लेख में कहीं से भी कोई अलोचना नहीं है..पाठकों पर छोड़ते हुए खत्म मज़मून ने सारे आर्टिकल की रीढ़, बैलेंस टिप्पणी को बनाये रखा है.....शेष ग़ुस्ताख़ी के लिए मुआफ़ी....जय युवराष्ट्र

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